जलना नहीं आता मुझको

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aarti kumari
तेरे हमराह यूं चलना नहीं आता मुझको,
वक्त के साथ बदलना नहीं आता मुझकोl  
 
मैं वह पत्थर भी नहीं हूँ कि पिघल भी न सकूं,
मोम बनकर भी पिघलना नहीं आता मुझकोl  
 
कीमती शै भी किसी राह में खो जा अगर,
हाथ अफ़सोस का मलना नहीं आता मुझकोl  
 
तुम मुझे झील-सी आँखों से अभी मत देखो, 
डूब जाऊँ तो निकलना नहीं आता मुझकोl  
 
आग का मुझ पे असर कुछ नहीं होने वाला, 
तुम जलाओ भी तो जलना नहीं आता मुझकोl 

                                                       #डॉ. आरती कुमारी

परिचय : डॉ. आरती कुमारी की जन्म तिथि २५ मार्च १९७७ और जन्म स्थान गया (बिहार) हैl आप वर्तमान में आजाद कॉलोनी माड़ीपुर(मुजफ्फरपुर,बिहार) में निवासरत हैंl आपने एमए(अंग्रेजी), एमएड और पीएच-डी. की शिक्षा हासिल की हैl वर्तमान में सहायक शिक्षिका के रूप में राजकीय उच्चत्तर माध्यमिक विद्यालय (ब्रह्मपुरा,मुजफ्फरपुर) में कार्यरत हैंl  `कैसे कह दूँ सब ठीक है` काव्य संग्रह प्रकाशित होने के साथ ही पत्रिकाओं में लेख एवं अन्य रचनाओं का प्रकाशन निरंतर जारी हैl वेब और शैक्षणिक पत्रिकाओं में भी लिखती हैंl साक्षा-काव्य-संग्रह -आज के हस्ताक्षर,ग़ज़ल सरोवर आदि भी आपके नाम हैl सम्मान के रूप में  राजस्थान की राज्य इकाई द्वारा शिक्षा एवं साहित्य के क्षेत्र में ‘अनुव्रत सम्मान-२०११’ सहित ‘बिहार विकास रत्न अवार्ड- २०१२’,‘गोपी वल्लभ सहाय सम्मान-२०१३’ `साहित्य साधना सम्मान-२०१५` आदि  पाए हैंl कवि सम्मेलन एवं मुशायरों में पाठ करती हैंl 

matruadmin

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