अमरनाथ यात्रियों  की  मौत पर आंसू बहाऊं, या झुलसते बंगाल की दास्तान पहले सुनाऊं। बढ़ती महंगाई,भूख से बिलखतों को सहलाऊं, या अन्नदाता  की तबाही का मंजर तुम्हें दिखाऊं॥ आपस में  बंटते भाई-भाई की दास्तान सुनाऊं, या तार-तार होते सुनहरे सपनों का सच बताऊं। रहनुमा की रहनुमाई पर झर-झर आंसू बहाऊं, […]

  उम्र की दहलीज पर खड़ी, वो पीछे छूटे बरसों लम्बे गलियारों को अचंभित-सी सोच रही थी, कहां आ गई है वो आज जो खुद को भी पहचान नहीं पा रही है विस्मृत सी स्मृतियों में खुद को खोजने लगती है वो नन्हीं-सी परी, सुनहरी काया सोने जैसे लम्बे  घुंघराले […]

भौतिकता की  चकाचौंध में, दूर   कहीं     बहुत    दूर छूट  गई है   नैतिकता की, नर्म,मुलायम,धवल चांदनी। दॊलत,शोहरत पद-प्रतिष्ठा, सम्मान के झूठे अहंकार से चौंधियाई आंखें सादगी सरलता, साफगोई और सदाशयता को देखना  ही  भूल  गई है। प्रेम,दया,  सहानुभूति, ईमान-धरम, रिश्ते-नाते आपसी भाईचारा,इन्सानियत और परोपकार  को देख […]

आज जीने के लिए, इक शिखण्डी चाहिए॥ औंधे मुंह है रुढ़ियां धूल भरी है आँख, चिकना खीरा रो रहा भीतर  देखे फाँक। इक नए संधान को, बस रणचंडी चाहिए॥ बन्दूकी आग डर रही उछले कंकड़-पत्थर, भूख करे गंधर्व गान भरे नोट मुह शंकर॥ आत्मरक्षा कर लिए, एक  बन्दी चाहिए॥ फटा […]

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क्या हुआ मैं जानती हूँ,अनमनी-सी बात मत कर। सनम कुछ पर्दा नहीं है,अनकही-सी बात मत कर। रे यह साझेदारी है,हमारे बीच की बात है। गली में बात फैलाकर,सनसनी-सी बात मत कर। कुछ राज कहने हैं तुमसे,और कुछ सुनने हैं सनम। बैठ कर बातें करें,अब अनबनी-सी बात मत कर। इस तरह […]

भारत के वर्तमान  राष्ट्रपति  प्रणब  मुखर्जी  का कार्यकाल  २४ जुलाई  को समाप्त  हो रहा है। १४ वें राष्ट्रपति  के चुनाव  की प्रक्रिया आरंभ  हो चुकी है। एनडीए ने रामनाथ  कोविंद  को अपना उम्मीदवार  बनाकर दलितों  का  दिल जीतने और देश को एक संदेश  देने का प्रयास  किया है। इससे पूर्व […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।