अनमनी-सी बात मत कर

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subhashini
क्या हुआ मैं जानती हूँ,अनमनी-सी बात मत कर।
सनम कुछ पर्दा नहीं है,अनकही-सी बात मत कर।

रे यह साझेदारी है,हमारे बीच की बात है।
गली में बात फैलाकर,सनसनी-सी बात मत कर।

कुछ राज कहने हैं तुमसे,और कुछ सुनने हैं सनम।
बैठ कर बातें करें,अब अनबनी-सी बात मत कर।

इस तरह से दूर रहकर,कब तक चल पाएंगे हम।
आजा मिलन की बात कर,तोड़ती-सी बात मत कर।

सब बातें मुँह से कहने की जरूरत नहीं होती।
सब समझता है मन सनम,बिनकही-सी बात मतकर।

धड़कनों को मेरे दिल की,अब तो समझो ओ सनम।
मन की कुछ बातें कर,यूँ दिलजली-सी बात मत कर।

वह सुनहरा पल भी आएगा,एक हो जाएंगे हम।
‘सुलभ’ तू सुलझी बात कर,तनतनी-सी बात मत कर।

                      #सुभाषिनी जोशी ‘सुलभ’

matruadmin

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