यादें

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 rajeshwari
उम्र की
दहलीज पर खड़ी,
वो पीछे
छूटे बरसों लम्बे
गलियारों को
अचंभित-सी
सोच रही थी,
कहां आ गई है
वो आज जो
खुद को भी
पहचान नहीं पा
रही है विस्मृत
सी स्मृतियों में
खुद को खोजने
लगती है
वो नन्हीं-सी परी,
सुनहरी काया सोने
जैसे लम्बे  घुंघराले
बाल मधुर मुस्कान
लिए फूलों से भी
हल्की।
पूरे मोहल्ले
के हाथों का खिलौना,
दादा की नजरों का नूर
दादी की आँखों का तारा,
कब यौवन की दहलीज पर
आ बैठी,
कब प्रणय बंधन में
बंधकर जीवन डोर
अजनबी हाथों में सौंप
ममत्व डोर में बांध कर
अपना अस्तित्व खो दिया।
जिंदगी  की पथरीली तंग,
गलियों में गुजरते हुए
हर सुख-दुःख को गले
लगाया,पर कहीं चैन
नहीं पाया,
कुदरत की विडंबनाओं के आगे
सर झुकाया,फिर भी,
किसी का प्यार न पाया
न जाने कब होंठों,
से हँसी रुठ गई।
वेदना-निराशा ने अधिकार
जमा लिया,
कब वक़्त उसके हाथों
में से रेत की तरह फिसल
कर दूर जा खड़ा हुआ,
और आज वो बेबस-सी
बिछड़ी पगडंडियों
में खुद को खोजती-सी
सोच रही थी,
ये कौन-सा मोड़ है जिंदगी का,
जहा सांसें तो है जिंदगी नहीं..
सब हैं अपने नहीं,
दिल है अरमान नहीं,
नींद है खवाब नहीं..
प्यार है साथी नहीं।

                                                              #श्रीमती राजेश्वरी जोशी

परिचय : श्रीमती राजेश्वरी जोशी का निवास अजमेर (राजस्थान) में है। आप लेखन में मन के भावों को अधिक उकेरती हैं,और तनुश्री नाम से लिखती हैं।

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