हिन्द की शान

1
0 0
Read Time2 Minute, 59 Second
seemahari
मैं राष्ट्रभाषा मातृभाषा,
हिंदी हिंदुस्तान की शान।
बीते सात दशक आज़ादी
अब तक क्यों न मिली पहचान ?
दुनियाँ के सारे देशों को
है निज भाषा पर अभिमान।
सुनो पराई भाषा का तुम
मुझे त्याग करते क्यों गान।
उर्दू, आंग्ल, फ़ारसी सब को
आत्मसात कर
दिया है मान ।बीते….
मुझे राजभाषा कहते हो
पर-भाषा करती क्यों राज ?
मुझे बोल-लिखने में आती
बतलाओ क्यों तुमको लाज ?
निज-भाषा की अलख जगा,
तज आंग्ल दासता
बनों सुजान।
काम-काज सब अंग्रेजी में
कैसे पढ़ पायें अनजान ?
विद्यालय की खस्ता हालत
इंग्लिश माध्यम जगमग शान
मुट्ठी भर लोगों से होगा
क्या विकास
सोचो नादान ?
कंठ, ओष्ठ, मूर्धन्य, ताल,दंतीय सब अलग अलग हैं वर्ण
सारी दुनियाँ ने माने रस
गति,यति,लय,प्रिय मधुर कर्ण
जुड़ी न अब तक प्रान्तों से यह
कैसे हो पूरा उत्थान ?
बीते सात दशक आज़ादी
अब तक
क्यों न मिली पहचान ?
                 # सीमाहरि शर्मा
परिचय :
नाम-      श्रीमती सीमाहरि शर्मा
पति-     श्री हरिवल्लभ शर्मा ‘हरि’
शिक्षा-     एम.ए हिंदी साहित्य (लघु शोध प्रबंध..”सबहि नचावत राम गुसाईं”) एल.एल.बी
कार्यक्षेत्र- ग्रहणी
विधा-   गीत, ग़ज़ल, छन्द, कहानियाँ, आलेख आदि 
प्रकाशन-    साहित्य अमृत, सोच विचार, वीणा मासिक पत्रिका, गीत गागर, अनन्तिम, साहित्य सरोज, कर्मनिष्ठा, सत्य की मशाल आदि साहित्यिक पत्रिकाओं, ई-पत्रिकाएँ अनुभूति अभिव्यक्ति आदि एवम समाचार-पत्रों में गीत,गज़ल, कहानियों का प्रकाशन।
सांझा काव्यसंग्रह – “गीत प्रसंग”, “दोहा प्रसंग”, “अपूर्वा गीत-नवगीत संग्रह”, “काव्य-कुंज” ।
 
सम्मान- ओबीओ’साहित्यरत्न’सम्मान, सरस्वती प्रभा सम्मान, उदघोष साहित्य परिषद सम्मान, गीतिकालोक काव्य श्री सम्मान, अंतरा शब्दशक्ति सम्मान 2018, सत्य की मशाल द्वारा”साहित्य शिरोमणि”, निर्भया साहित्य कल्याण एवं शोध संस्थान भोपाल द्वारा “निर्भया साहित्य कल्याण सम्मान”आदि 
इंडिया न्यूज चैनल एवं दूरदर्शन मध्य प्रदेश पर काव्य पाठ
पता-  भोपाल(मध्यप्रदेश)

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

One thought on “हिन्द की शान

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

वक्त की माँग

Mon Jun 4 , 2018
आशा से देखती है वह आँखें नम करदेती हैं मन बिस्तर पर लेटे पिता के उम्र की तलहटी पर पहुंच कर कुछ वक्त का माँग करती है बच्चों से। कुछ अनगिनत सवालों का जवाब माँगते हुए। अपना सब कुछ सौंपा है तुम्हें वक्त, मेहनत, जवानी वृद्धाप्य क्या अब तुम्हारे पास […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।