बेटी की व्यथा

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paras nath
किससे भय है मुझको,पापा!
न आग से, न पानी से,
न शेर से, न चीता से,
न भूत से, न बेताल से,
न किसी आपदा से,
सबसे सामना कर लेते हैं हम।
तुमने तो ही सिखाया है,पापा!
कि मुश्किलों से डटकर मुकाबला करो ।
मैं करुँगी, और करती हूँ ।

पर पापा!
मुझे डर है उन ठेकेदारों से,
जो हमारी सुरक्षा का बीड़ा उठातें है,
सिर्फ कथनी,और सिर्फ कथनी!!!
करनी कोसों दूर ।
पापा !
मुझे भय है सिर्फ,
किसी के पापा से,
किसी के भाई से ,
किसी के चाचा से ,
किसी के बेटे से ,
किसी के पति से,
किसी के भतीजे से,
किसी के दादा से भी,उफ़।
और किससे डर है मुझे ।पापा!!

नाम-पारस नाथ जायसवाल
साहित्यिक उपनाम – सरल
पिता-स्व0 श्री चंदेले
माता -स्व0 श्रीमती सरस्वती
वर्तमान व स्थाई पता-
ग्राम – सोहाँस
राज्य – उत्तर प्रदेश
शिक्षा – कला स्नातक , बीटीसी ,बीएड।
कार्यक्षेत्र – शिक्षक (बेसिक शिक्षा)
विधा -गद्य, गीत, छंदमुक्त,कविता ।
अन्य उपलब्धियां – समाचारपत्र ‘दैनिक वर्तमान अंकुर ‘ में कुछ कविताएं प्रकाशित ।
लेखन उद्देश्य – स्वानुभव को कविता के माध्यम से जन जन तक पहुचाना , हिंदी साहित्य में अपना अंशदान करना एवं आत्म संतुष्टि हेतु लेखन ।

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