नया मुकाम

0 0
Read Time2 Minute, 43 Second
 sanjay
सुबह हो शाम हो,दिन हो या रात हो,
आओ मेहनत मिलकर करें।
एक नया मुकाम हासिल करें,
एक नया मुकाम हासिल करें॥
काम की होड़ में दौड़कर देखिए,
कामचोरी को तभी छोड़कर देखिए।
मेहनत और लगन की तुम दो एक मिसाल,
इसमें खुद को डूबोकर तुम देखिए॥
तुम अगर साथ दो,हाथों में हाथ दो,
सारी दुनिया को पीछे छोड़ दें।
एक नया मुकाम हासिल करें,
एक नया मुकाम हासिल करें॥
काम करने कोई न होता है वक्त,
जब भी जी चाहे इसे करो तुम सब।
सिर्फ दो अंक का प्रश्न हल को मिला,
जोड़ करना था हमने दिया है घटा।
एक अंक हम हैं,एक अंक तुम हो,
आओ दोनों यूं जोड़ दें।
एक नया मुकाम हासिल करें,
एक नया मुकाम हासिल करें॥
मेहनत और लगन की हम शादी करें,
संग रहने का इनको आदी करें।
अब न होंगे एक-दूसरे से हम यूं अलग,
सारी कर्मशाला में ये मुनादी करें।
हमने जितना देखा,बस उतना लिखा,
अब ये पन्ना यही मोड़ दें।
एक नया मुकाम हासिल करें,
एक नया मुकाम हासिल करें॥
सुबह हो शाम हो,दिन हो या रात हो,
आओ मेहनत मिलकर करें।
एक नया मुकाम हासिल करें।
एक नया मुकाम हासिल करें॥

         #संजय जैन

परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों  पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से  कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें  सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की  शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

सफलता

Mon Jan 22 , 2018
मंजिल मिले ना मिले, सीढ़ी जरूर चढ़ना। लोगों के तानों से दूर, लक्ष्य की ओर बढ़ना॥ कठिन हैं सफलता के पथ, कभी ना लड़खड़ाना। साजिशों से भरी जिन्दगी, खुद को बचाना न घबराना॥ तोड़ देंगे तुझे, खुद को जोड़ लेना। आँसू ही मिलते यहाँ, सुधा समझ पी लेना॥ साथ छोड़ […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।