वीरांगना अनामिका देवी

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वेद शास्त्रों में कहा गया है कि जहां महिलाओं की पूजा होती है, वहां पर देवता निवास करते हैं पर सदियों से महिलाओं पर हो रहे अत्याचारों-अनाचारों को देखते हुए ऐसा बिल्कुल प्रतीत नहीं हो रहा है ।दुनिया सदैव से ही महिलाओं की दुश्मन रही है। पुरुष प्रधान समाज में स्त्री जात का पुरुषों ने हमेशा ही शोषण किया। कभी सीता को छला, कभी द्रोपदी को, कभी मीरा को और कभी फूलन देवी को मारा तो कभी दामिनी या फिर कभी गर्भवती हथिनी को‌। अगर कोई महिला अपने बलबूते पर अपनी प्रतिभा से जरा भी तरक्की करने लगे तो पुरुषों की छाती पर मोटे-मोटे जहरीले सांप लोटने लगते हैं ।अगर वीरांगना अनामिका शुक्ला उर्फ प्रिया अपनी अदम्य वीरता का परिचय देते हुए 25 स्कूलों में अपनी महती सेवाएं देते हुए थोड़ा सा पैसा पा लेती है तो यह उसकी सच्ची जीवटता और कर्मठता ही कही जाएगी। आज के समय में ऐसी वीरांगनाओं का देश में टोटा है। ऐसी वीरांगनाएं देश की तरक्की में अपना महती योगदान दें रहीं हैैं तब पुरुष समाज को इसका विरोध बिल्कुल नहीं करना चाहिए ‌बल्कि मैं तो पूरे पुरुष समाज से मांग करता हूं ऐसी होनहार वीरांगनाओं की मुक्त कंठ से प्रशंसा करें और हमारी सरकार ऐसी वीरांगना को राष्ट्रीय स्तर का सम्मान देकर एक भारतीय प्रतिभाशाली महिला शक्ति को दुनिया भर में दिखाए और बताएं कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ जैसे कार्यक्रम हमारे यहां अनामिका जैसी महिलाएं कितना सफल सिद्ध रहीं हैं। सच पूछो तो सरकार इतिहास की किताबों में अनामिका जैसी वीरांगनाओ के नाम स्वर्ण अक्षरों से दर्ज कराए ताकि नारी सशक्तिकरण को भविष्य में भी बल मिलता रहेगा।

सुरेश सौरभ
निर्मल नगर लखीमपुर खीरी उत्तर प्रदेश

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।