(गुरुदेव श्री विद्यासागर महाराज को समर्पित)
एक संत विरला,
जग के कल्याण को निकला।
धर्ममय राष्ट्र को परिभाषित किया,
राष्ट्र में धर्म को समाहित किया।
जिनका धर्म राष्ट्र है,
जो श्रमण सम्राट है।
एक जैनाचार्य लिखते धर्म की इबारत,
मगर ह्रदय में सबसे पहले भारत।
पशु धन बचाओ,
मांस निर्यात बंद कराओ।
अंग्रेजी नहीं,हिन्दी बोलो,
इंडिया नहीं, ‘भारत’ बोलो।
स्वावलंबी बनो हथकरघा अपनाओ,
संस्कृति बचाओ,स्वदेशी अपनाओ।
श्री विद्यासागर शिरोमणि संत को,
कोटि कोटि नमन राष्ट्र संत को।
‘पुष्प’ की है बस यही भावना,
राष्ट्र और संत की हो प्रभावना।
#पुष्पेन्द्र जैन ‘नैनधरा’
परिचय : पुष्पेन्द्र जैन ‘नैनधरा’ का सागर(मध्यप्रदेश) के गोपालगंज में निवास है। आप यहीं पर टाइल्स- मार्बल और सेनेटरी का व्यवसाय करते हैं। साथ ही कविताएं और लेख लिखने का शौक भी रखते हैं। कविता लेखन में विशेष रुचि है। १००० से अधिक रचनाएं लिख चुके हैं,जो कई संचार माध्यमों से प्रकाशित भी हुई हैं।