कैसा है यह जनजीवन

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hema
फुटपाथों पर नंगे बदन,
कचरे बीनते नन्हें कदम
दो पल की खुशी के जतन में,
जब बिकती कोई बेटी नादान
तब लगता है मरुं मैं,अथवा मारुं पीड़ा,
दुःख गरीबी-भूख का कीड़ा।
ये समाज की बंदिशें,ये लाचार से लोग,
कब मिटेगी क्लान्ति
इन धूमिल से चेहरों की,
सामान्य,पिछड़ा,अति पिछड़ा, अल्पसंख्यक आदि वर्गों में बँटा
समाज।
उपाधियों के बण्डल हाथों में लिए बेरोज़गारों की भीड़,नौकरियां महंगी हुईं,
बेटे-बेटियां शिक्षित तो हो रहे पर स्वावलम्बी नहीं,
बूढ़े कन्धों पर रोटी-ब्रेड
सब्जी दूध माँ-बाप ढो रहे हैं इन सबका बोझ।
मज़दूरी महंगी हुई पर मज़दूर बीमार हैं,
ज़मीन के भाव बढ़े,पर निर्माता बेईमान हैं॥
             #हेमा श्रीवास्तव
परिचय : हेमा श्रीवास्तव ‘हेमा’ नाम से लिखने के अलावा प्रिय कार्य के रुप में अनाथ, गरीब व असहाय वर्ग की हरसंभव सेवा करती हैं। २७ वर्षीय हेमा का जन्म स्थान ग्राम खोचा( जिला इलाहाबाद) प्रयाग है। आप हिन्दी भाषा को कलम रुपी माध्यम बनाकर गद्य और पद्य विधा में लिखती हैं। गीत, ‘संस्मरण ‘निबंध’,लेख,कविता मुक्तक दोहा, रुबाई ‘ग़ज़ल’ और गीतिका रचती हैं। आपकी रचनाएं इलाहाबाद के स्थानीय अखबारों और ई-काव्य पत्रिकाओं में भी छपती हैं। एक सामूहिक काव्य-संग्रह में भी रचना प्रकाशन हुआ है।

ई-पत्रिका की सह संपादिका होकर पुरस्कार व सम्मान भी प्राप्त किए हैं। इसमें सारस्वत सम्मान खास है। लेखन  के साथ ही गायन व चित्रकला में भी रुचि है।

matruadmin

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One thought on “कैसा है यह जनजीवन

  1. बहुत सुंदर रचना उत्कृष्ट शब्दो से सजी

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।