Read Time48 Second

सावण सुरँगो साहिबा,मनड़े छायो हेत|
ऊभी उडिके गोरड़ी ,जोगी जोबन खेत||
रुत रेता राची धणी, घट म्हा मारे तीर|
नैण बरखा बरसे पिया, ज्यों झरणा रो नीर||
प्रीत निभाओ रांझणा, जोबन झौला खाय|
सोणो चाले बायरो ,सावन सूखो जाय||
सावन बरसे नयन से, मन में उठ री पीर|
स्वप्न में पिव दर्शन करुँ,विरह बढ्यों ज्युँ चीर||
प्रीत निभावो गोरड़ी, हिवड़े राखो आस|
सावण सुरँगी तीज रा ,म्हे आवाळा पास||
अब आवां म्हे गोरड़ी,थारोड़े परदेस|
मन री मेड़ी मांडस्या, मत भेजो संदेश ||
#शिव गल्डवा
Post Views:
507