
ईश्वर हमको ऐसा वर दो,
अच्छे, अच्छे कर्म करें ।।
मानवता की सेवा करके ,
हम दुनियां में नाम करें।।
सत्य, अहिंसा को अपनाकर,
गांधी, हरिश्चन्द्र, राम बनें।
विफलताओं पर व्याकुल न हों,
धैर्य के साथ हो सदैव खड़े ।।
क्रोध को जीते, क्षमा व्रत लें,
नम्र बनें हम झुक के चलें ।
तड़क, भड़क से दूर रहें,
अपना जीवन सादा रखें ।।
देशी कपड़ा, कागज़ कलम,
देशी पेंसिल से ही लिखें ।
मन, वाणी, कर्म पवित्र बना,
ईश्वर चरणों में सुख लें ।।
माता, पिता गुरु की सेवा,
जीवन के आचरण में भर लें।
ईश्वर मुझको ऐसा वर दो ,
धरती को हम स्वर्ग बना लें।।
आसिया फ़ारूकी
फ़तेहपुर (उत्तर प्रदेश)