पुराना जा के नूतन आ रहा है,सबका मंगल हो,
समूचा देश खुशी में गा रहा है,सबका मंगल हो।
नया है वर्ष नया कैलेण्डर,नए आगाज इसमें हो,
नया सवेरा दुनिया को भा रहा है,सबका मंगल हो॥
मिले नफ़रत पर सभी को जीत तो नववर्ष मंगल हो,
करें सब जो आपस में ही प्रीत तो नववर्ष मंगल हो।
यहाँ कब-कौन-क्या मजहब नहीं मतलब हो बस इतना,
गले मिलने की हो बस रीत तो नववर्ष मंगल हो॥
मिले हर चीज यहां मन चाही ये नववर्ष मंगल हो,
मिले सबको ही यहाँ हमराही,ये नववर्ष मंगल हो।
है हद सिर्फ आसमाँ,लेकिन उसके भी पार जाना हो,
मिले दुनिया को अंदाज बस शाही,ये नववर्ष मंगल हो॥
किया वादा अगर निभा जाऊं तो नववर्ष मंगल हो,
कोई एक खामी अपने से हटा पाऊं तो नववर्ष मंगल हो।
कहते लोग बहुत हैं कि मुझमें है बहुत कुछ अब,
दुनिया को ‘आदर्श’ दिखा जाऊं तो नववर्ष मंगल हो॥
#आदर्श जायसवाल
परिचय: आदर्श जायसवाल का जन्म १४ जुलाई १९९६ को प्रतापगढ़ के बिहारगंज में हुआ है। आप उत्तर प्रदेश के शहर प्रतापगढ़ में ही रहते हैं। वर्तमान में बी.ए. के छात्र होकर सामाजिक क्षेत्र में अपने समाज के मीडिया प्रभारी हैं। विधा-कविता है। ब्लॉग पर भी लिखते हैं। इनके लेखन का उद्देश्य अच्छा कवि बनकर समाज को जागरुक करना है।