दीपक जलना चाहिए

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pushpendra
अँधेरा हैं चारों तरफ,
कोई दीवाना चाहिए
मिटा दे जो अंधेरों को,
दीपक जलना चाहिए।

भरोसा भोर का है नहीं,
रात भी है रकीब जैसी
ढूँढ लाए जो शमां को,
ऐसा परवाना चाहिए।

फलक तक जाना चाहो, आसमां से करने बातें
परिन्दों सी जो नीयत हो,
उसे उड़ जाना चाहिए।

कब तलक ये ही सोचोगे, कोई आगे तो आए
जिसे ये जीतना जहाँ है,
उसे बढ़ जाना चाहिए।

आएँगी मंजिलें तुमसे,
रु-ब-रु होने को लेकिन
मिटाने दूरी दरम्यान,
राहों पर आना चाहिए।

‘पुष्प’ ये वादा करता है,
अँधेरा फिर न आएगा
बस तुम्हें दीप जलाने का, हुनर आना चाहिए।।

                                                                            #पुष्पेन्द्र जैन ‘नैनधरा’

परिचय : पुष्पेन्द्र जैन ‘नैनधरा’ का  सागर(मध्यप्रदेश) के गोपालगंज में निवास है। आप यहीं पर टाइल्स- मार्बल और सेनेटरी का व्यवसाय करते हैं। साथ ही कविताएं और लेख लिखने का शौक भी रखते हैं। कविता लेखन में विशेष रुचि है। १००० से अधिक रचनाएं लिख चुके हैं,जो कई संचार माध्यमों से प्रकाशित भी हुई हैं।

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2 thoughts on “दीपक जलना चाहिए

  1. बहुत खूब शानदार पुष्पेन्द्र भाई गज़ब लिखते हो

  2. शानदार लाजवाब प्रेरक रचना है नैनधरा जी

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