यह जीवन पथ है प्रीत मित्र,
चख ले इसका नवनीत मित्र।
सम्बन्ध-सुरभि से सुरभित हो,
महके तेरा हर गीत मित्र।
चिंतन..स्वालंबन..संचित कर,
युग के अंतस..को..जीत मित्र।
भटके न कभी,अटके न कभी,
मत कर्मभूमि से रीत मित्र।
कुछ रच दे ऐसा कालजयी,
सदियां पढ़ जाऐं बीत मित्र॥
#अनुपम कुमार सिंह ‘अनुपम आलोक’
परिचय : साहित्य सृजन व पत्रकारिता में बेहद रुचि रखने वाले अनुपम कुमार सिंह यानि ‘अनुपम आलोक’ इस धरती पर १९६१ में आए हैं। जनपद उन्नाव (उ.प्र.)के मो0 चौधराना निवासी श्री सिंह ने रेफ्रीजेशन टेक्नालाजी में डिप्लोमा की शिक्षा ली है।
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