सांस्कृतिक अस्मिता पर संकट

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● डॉ. पदमा सिंह, इंदौर

हमारी आस्था के प्रतीक और धर्म के आधार हैं, हमारे ग्रंथों में वर्णित पौराणिक पात्र। इतिहास, वेद, पुराण और अर्ष ग्रंथ सिर्फ़ मनोरंजक कथा कहानियाँ कहने के लिए नहीं गढ़े गए हैं। हमारे ज्ञान–विज्ञान का रहस्य इन्ही ग्रंथों में समाहित है। विदेशी आक्रांताओं द्वारा भारतीय कला कौशल और ज्ञान–विज्ञान को नष्ट करने के पीछे यही दूषित मनोवृत्ति थी, जिसके कारण हम अपने गौरवपूर्ण अतीत से अनजान रह कर विदेशियों के गुलाम बनने पर मजबूर हुए। ये पात्र हमारी आर्य संस्कृति के उदात्त और आदर्श रूप का प्रतिबिम्ब हैं। यदि फ़िल्मों और साहित्य के बहाने हमारी आदर्श संस्कृति को विकृत करने का सुनियोजित षड्यंत्र किया जा रहा है तो यह निंदनीय है, जिसका हर राष्ट्र भक्त को विरोध करना चाहिए।

भारत की आर्य संस्कृति की रक्षा के लिए समय की मांग है कि हम अपने धर्म, मूल इतिहास और लोक परंपरा के छिपे हुए दुश्मनों का पुरज़ोर विरोध करें और डट कर इस समस्या का सामना करें।


गीता और रामायण हमारी सांस्कृतिक विरासत हैं। इनके किसी भी अंश या विचार दर्शन के पारंपरिक रूप को साहित्य, कला या फ़िल्मों के माध्यम से परिवर्तित करना अक्षम्य अपराध ही नहीं, पापकर्म है। भारतीयता के पक्षधरों के समक्ष यह एक गंभीर चुनौती है। पाश्चात्य भोगवादी संस्कृति के अंधमोह और नग्न विचारधारा की चाटुकारिता के मोह में फंसे रह कर अब भी इस मानसिकता विकृति का विरोध नहीं किया गया तो आर्य संस्कृति को पूरी तरह नष्ट कर देने का यह देश के दुश्मनों का षड्यंत्र शीघ्र सफल हो जाएगा। भारत की आर्य संस्कृति की रक्षा के लिए समय की मांग है कि हम अपने धर्म, मूल इतिहास और लोक परंपरा के छिपे हुए दुश्मनों का पुरज़ोर विरोध करें और डट कर इस समस्या का सामना करें। हमारे कला रूपों और संस्कृति की रक्षा करना हर भारतीय का प्रथम कर्त्तव्य है। अति आधुनिकता और उदारीकरण के खतरे भारतीय संस्कृति पर घना कुहासा बन कर मंडरा रहे हैं। जो लोग हमारी भाषा, लोकसंस्कृति, मूल परंपरा और संस्कारों को विकृत करने का सुनियोजित षड्यंत्र करने में लगे हैं, यह तय है कि उनको अनदेखा करने के हमें गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे।

डॉ. पद्मा सिंह,

इंदौर, मध्यप्रदेश

परिचय-

1976 से 1915 तक मध्य प्रदेश शासन के उच्चशिक्षा विभाग में प्रथम श्रेणी अधिकारी के रूप में सेवारत रहीं हैं।
▪ “तुलनात्मक भाषा एवं संस्कृति अध्ययनशाला”, देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर की पूर्व निदेशक रहीं हैं।
▪ हिन्दी, संस्कृत एवं तुलनात्मक भाषा और साहित्य की पूर्व अध्यक्ष रहीं एवं विश्वविद्यालयीन साहित्य अध्ययन परिषद् की 6 वर्ष तक अध्यक्ष रही हैं।
अनेक *राष्ट्रीय पुरस्कारों * मध्य प्रदेश साहित्य अकादमी सम्मान

श्री अम्बिकाप्रसाद दिव्य स्मृति प्रतिष्ठा सम्मान से सम्मानित हैं।
▪एन सी ई आर टी• 30वाँ राष्ट्रीय बाल साहित्यकार पुरस्कार( 1998-99, नई दिल्ली)
प्रसिद्ध लेखक गुलज़ार द्वारा प्रदान किया गया।
आपको▪ रवीन्द्रनाथ टैगोर जन्म शताब्दी स्वर्ण पदक (26 अगस्त 1976) एवं
▪आर. सी. जाल लोक परमार्थिक न्यास स्वर्ण पदक (1975) ▪”सरस्वती पुत्री सारस्वत सम्मान” देवी श्री अहिल्या बाल साहित्य सृजन कानपुर से(2005) एवं ▪”मीरा अग्रवाल स्मृति सम्मान “(बाल कल्याण एवं बाल साहित्य शोध केन्द्र, भोपाल द्वारा मीरा अग्रवाल सम्मान से सम्मानित(अक्टूबर 2011)अनेक राष्ट्रीय संगोष्ठियों में अध्यक्ष। राजस्थान छत्तीसगढ़ ,नागपुर विवि. के अध्ययन परिषद् में विशेषज्ञ तथा प्राध्यापक चयन परीक्षा में विषय विशेषज्ञ के रूप में आमंत्रित। मध्य प्रदेश लोकसेवा आयोग की परीक्षक व मॉडरेटर रही हैं। इनके निदेशक में अनेक शोध छात्र पी.एचडी.कर चुके हैं।
आपके अनेक शोध आलेख, समीक्षाएँ, कहानी, संस्मरण, निबंध साहित्यिक पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं।

आपने 4 नृत्य नाटिकाएँ लिखी हैं।: (1) शिल्पी। (2) समुद्रमंथन। (3) घन बरसे। (4) बूंद बूंद अमृत यह अभय प्रशाल व डेली कॉलेज, इंदौर में मंचित हो चुकी हैं।
यह राष्ट्रीय संगोष्ठी की संयोजक व निदेशक रही हैं।
“हिन्दी लघुकथा साहित्य में प्रयोगधर्मी चुनौतियाँ” पर शोध पत्रिका का सम्पादन किया है।

●आप श्री मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति इंदौर’ में 1976 से जुड़ी हैं और विभिन्न पदों पर रही हैं और प्रबंध कार्यकारिणी समिति की सदस्य हैं।
आप पूर्व साहित्यमंत्री, पूर्व प्रकाशन मंत्री, वीणा की पूर्व प्रबंध सम्पादक और डॉ.परमेश्वरदत्त शोध संस्थान’ की शोध मंत्री रहीं हैं। आपके निदेशन में अनेक शोध हुए।
आपने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के ई. एम. आर. सी. विभाग में हिन्दी साहित्य में अध्यापन किया और आपके इंटरनेट पर साहित्यिक पाठ्यक्रम प्रसारित हुए हैं।
▪वीणा’ पत्रिका में आपने स्तंभ लेखन किया। “हमारी विरासत”
आपकी सम्पादित
की गई तीन पुस्तकें बी.ए. हिन्दी साहित्य एवं हिन्दी भाषा के पाठ्यक्रमों में शामिल हैं।
आपने ही पहली बार मालवी भाषा और साहित्य को विश्वविद्यालय में बी.ए.के कोर्स में शामिल करवाया है। (1) मालवी भाषा और साहित्य। (2) हिन्दी एकांकी। (3)निबंध एवं अन्य विधाएँ।
कविता संग्रह
(1) शब्द की हथेलियों में। (2) फूलों को खिलना है। (3) आत्म चिंतन में जगत दर्शन
(4) कलम उगलती आग
(5) सार्थक कविता की तलाश

आप अनेक सामाजिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित हैं।
◾आपकी 200 से अधिक समीक्षाएँ, निबंध ,कहानी, कविताएँ, संस्मरण, साक्षात्कार आदि हिन्दी की प्रतिष्ठित साहित्यिक व शोधपत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं।
आपके 200 से अधिक निबंध,
आलोचना, कहानी एवं शोधपत्र प्रकाशित हो चुके हैं। आपकी रचनाओं का अंग्रेज़ी व मराठी में अनुवाद हुआ है। आपका अंग्रेज़ी में अनुवादित कविता संग्रह अमेरिका से प्रकाशित हुआ है। **FragrantFeelings * शीर्षक से।
आपके तीन कविता संग्रह, एक समीक्षात्मक पुस्तक व एक निबंध संग्रह प्रकाशन में है।
● आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर आपकी रचनाओं का लगातार प्रसारण होता रहा है।

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