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दिल की दीवारें जब दरकी
रिस रिस जल की बूँदे सरकी।
पीड़ा के बदरा मंडराये
अश्रु नयन ये रोक न पाये।
आँसू आखों का मौन तोड़
यह गिरा नयनो की बेजोड़
अवरुद्घ कंठ नहीं कह पाता
यह सारी गाथा समझाता ।
यह नयनों का दुर्लभ मोती
ओस बिन्दु निज आभा खोती।
हर्ष शोक सब को पहचाने
ये रीझ खीझ समझे दीवाने ।
कभी नव्य उमड़ा नीरद- सा
चमका सजल नयन चपला सा
निर्झर की लड़ियों सा झरता
सरिता की धारा सा बहता।
दिल में दबकर घुटन बढाता
कभी- कभी हल्का कर जाता
मैल हृदय का सब बह जाता
रह मौन अश्रु सब कह देता।
#पुष्पा शर्मा
परिचय: श्रीमती पुष्पा शर्मा की जन्म तिथि-२४ जुलाई १९४५ एवं जन्म स्थान-कुचामन सिटी (जिला-नागौर,राजस्थान) है। आपका वर्तमान निवास राजस्थान के शहर-अजमेर में है। शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. है। कार्यक्षेत्र में आप राजस्थान के शिक्षा विभाग से हिन्दी विषय पढ़ाने वाली सेवानिवृत व्याख्याता हैं। फिलहाल सामाजिक क्षेत्र-अन्ध विद्यालय सहित बधिर विद्यालय आदि से जुड़कर कार्यरत हैं। दोहे,मुक्त पद और सामान्य गद्य आप लिखती हैं। आपकी लेखनशीलता का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है।
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Tue Jul 17 , 2018
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