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बाईस जुलाई उन्नीस सौ सैंतालिस काे,
ऐतिहासिक मंगलमय शुभ दिन आया।
संविधान सभा ने तिरंगे को अपनाया,
यही भारत का राष्ट्रीय ध्वज कहलाया॥
तीन रंगों का तिरंगा ध्वज बनाकर,
बीच बनाया प्यारा नीला अशोक चक्र।
लाल किले पर तिरंगा ध्वज फहराकर,
आजाद हुआ प्यारा भारत देश हमारा॥
केसरिया रंग प्यारी केसर बिखराता,
त्याग और बलिदान की प्रेरणा देता।
देश के वीर शहीदों की याद दिलाता,
कर्त्तव्य पथ पर हरदम अग्रसर करता॥
सफ़ेद रंग शांति का अग्रदूत कहलाता,
सत्य और शांति का मार्ग दिखलाता।
अशोक चक्र धर्म चक्र भी कहलाता,
चक्र हमें चौबीस घण्टे आगे बढ़ाता॥
हरा रंग समृद्धि और खुशहाली लाता,
श्रद्धा और शौर्य का प्रतीक कहलाता।
भारत की धरती पर हरियाली लाता,
मेहनत से भारतीय ‘जन उन्नति’ पाता॥
तिरंगा भारत देश की शान कहलाता,
वीरों की आन,बान व शान कहलाता।
‘रिखब’ ‘जन गण मन’ का गाना गाता,
शांति, प्रेम व अहिंसा का पाठ पढ़ाता॥
#रिखबचन्द राँका
परिचय: रिखबचन्द राँका का निवास जयपुर में हरी नगर स्थित न्यू सांगानेर मार्ग पर हैl आप लेखन में कल्पेश` उपनाम लगाते हैंl आपकी जन्मतिथि-१९ सितम्बर १९६९ तथा जन्म स्थान-अजमेर(राजस्थान) हैl एम.ए.(संस्कृत) और बी.एड.(हिन्दी,संस्कृत) तक शिक्षित श्री रांका पेशे से निजी स्कूल (जयपुर) में अध्यापक हैंl आपकी कुछ कविताओं का प्रकाशन हुआ हैl धार्मिक गीत व स्काउट गाइड गीत लेखन भी करते हैंl आपके लेखन का उद्देश्य-रुचि और हिन्दी को बढ़ावा देना हैl
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