पन्नों पर लिखने से पहले

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kumari archana
पन्नों पर  लिखने से पहले,
कविता मानस पटल लिखूँ।
क्यों तन-मन में यह टूटन है,
चटका मेरा भी दर्पण है
क्यों जाते वो भूल व्यथा को,
उपचार ‘अर्चना’,चिंतन है।
घावों पर मलहम हो जाए,
ऐसा अब नवनीत करुं।
पन्नों पर लिखने से पहले,
कविता मानस पटल लिखूं॥
देखो भू पर कूड़ा-कचरा,
दुर्गंधित है,जो यह बिखरा
अपना दोष दूसरे को मत,
देकर,पथ कर दे जो निखरा
हर कोई मुस्काए फिर तो,
ऐसा मैं मनजीत करुं।
पन्नों पर लिखने से पहले,
कविता मानस पटल लिखूँ॥
दूजे की पीड़ा को हरकर,
निर्झर-सा तू भी अब झर-झर
मैं मुस्काऊँ,तू मुस्काए,
हम दोनों ही झोली भरकर
हम भी महकें,तुम भी चहको
ऐसी मनहर प्रीत भरुं।
शब्दों को अर्थों के पख दे,
नए-नवेले गीत रचूं॥

           #कुमारी अर्चना

परिचय: कुमारी अर्चना वर्तमान में राजनीतिक शास्त्र में शोधार्थी है। साथ ही लेखन जारी है यानि विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में निरंतर लिखती हैं। आप बिहार के जिला-पूर्णियाँ ( हरिश्चन्द्रपुर) की निवासी हैं।

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