स्वतंत्रता

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asha gupta
रामकृष्ण की जन्मभूमि
दिया कर्म  का ज्ञान यहाँ
सदियों से पृथ्वी का
ये गौरान्वित धरा रहा
त्याग तपस्या योग यहाँ
सदा था स्वतंत्र  धरा
रौदानें को हमारी संस्कृति
आते रहे अनेक लुटेरे सदा
और जकड़ा छल  से
शासन किया सालोंसाल
पिंजड़े में कैद मनुष्यता
छटपटाहट पोर पोर बसी
कहाँ रुकी सोच वीरता
  हुए अनेक क्रांति कुर्बानी
जूझते रहे हमारे  पूर्वज
तोड़ गुलामी की जंजीरें
दिया स्वतंत्रता का परिवेश
कारगिल की जीत हमारी
देता हमें है वीर   संदेश
स्वतंत्रता धूमिल हो ना
आओ हम आगाज करे
विरासत नही  स्वतंत्रता
बलिदानों को याद  करें
सीमा पर जूझते प्रहरी
वीर वीरांगना  ख़ुशी से
स्व के मोह जाल तोड़े
हमसब इस धरती के
स्वतंत्र है भारत माता
अपना ही आकाश यहाँ
प्रगति का दृढ़ संकल्प करें
उन्नति का सुंदर चरण बढ़े
शिक्षा उत्तम वैभव बढ़े
सौरभ देश का विश्व फैले
भारत के जनजन हृदय गाये
बसे वीरता लगन बाँहों में
और ना हम कभी हार कहें
स्वतंत्रता का संकल्प करें ..
#डॉ आशा गुप्ता”श्रेया”

matruadmin

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