जख्मी समाज

0 0
Read Time3 Minute, 0 Second

YASHPAL NIRMAL
यह महफिलें
यह रौनकें
सब छोड़ो साथियों
और
तनिक मष्तिष्क पर
ज़ोर डालकर
सोचो
यहाँ कोई लेखक
कागज
कलम
दाल
रोटी
की जुगाड़ में
जिम्मेदारियों
के बोझ तले दबकर
कर देता है कतल
अपने भीतर बैठे
रचनाकार का।
जहाँ,
आतंकवादियों से
जूझते हुए
हो जाता है
रोज़ाना
शहीद
किसी का
रिश्ता नाता
हाड़-मांस।
दिन चढ़ते ही
रोटी कपड़ों की
जुगाड़ में
जुट जाने वाले
बच्चे
हो जाते हैं बूढ़े
उम्र से पहले।
ढलते सूरज को देख
जहाँ कोई
मेरे जैसा
उदास
एकांत
डसती
रात
निकाल देता है
आंखें खुली रखकर।
जहँ भूख से
बिलखते बच्चे
तरसते रहते हैं
रोटी के टुकड़ों के लिए।
बूढ़ा बाप
इस आस में बैठे
कि,उसका ग़रीब बेटा
करेगा नौकरी
और
चुकाएगा कर्जा
काट देता है उम्र।
बिस्तर पर पड़ी
बीमार माँ
अपना इलाज
न करवा कर
दवाई के लिए रखे पैसे
दे देती है
बच्चों की किताबों के लिए।
जहाँ,
सारा समाज जख्मी हो
बहू-बेटियों की इज़्ज़त
से
खेला जा रहा हो दिनदहाड़े
खुलेआम
सरेआम
और
मानवता का लहू
बहाया जा रहा हो
जहाँ,
पानी की तरह
अपने स्वार्थों के लिए
उस माहौल में
तुम
महफिलें सजाते हो ? ?

#यशपाल निर्मल

परिचय:श्री यशपाल का साहित्यिक उपनाम- यशपाल निर्मल है। आपकी जन्मतिथि-१५ अप्रैल १९७७ और जन्म स्थान-ज्यौड़ियां (जम्मू) है। वर्तमान में ज्यौड़ियां के गढ़ी बिशना(अखनूर,जम्मू) में बसे हुए हैं। जम्मू कश्मीर राज्य से रिश्ता रखने वाले यशपाल निर्मल की शिक्षा-एम.ए. तथा एम.फिल. है। इनका कार्यक्षेत्र-सहायक सम्पादक (जम्मू कश्मीर एकेडमी आफ आर्ट,कल्चरल एंड लैंग्वेजिज, जम्मू)का है। सामाजिक क्षेत्र में आप कई साहित्यक, सांस्कृतिक एवं सामाजिक संस्थाओं में सक्रिय रुप से भागीदार हैं। लेखन में विधा- लेख,कविता,कहानी एवं अनुवाद है। आपकी रचनाओं का प्रकाशन विविध माध्यमों में हुआ है। सम्मान की बात करें तो साहित्य अकादमी का वर्ष २०१५ का अनुवाद पुरस्कार आपको मिला है। ब्लॉग पर भी सक्रिय यशपाल निर्मल को
कई अन्य संस्थाओं द्वारा भी सम्मानित किया गया है। आपके लेखन का उद्देश्य- समाज में मानवता का संचार करना है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

दिमाग में सिर्फ अंग्रेजी और रासायनिक ही

Wed Dec 6 , 2017
तथ्यों के अनुसार १८५८ में इंडियन एजुकेशन एक्ट बना,जिसको लॉर्ड मैकाले ने बनाया। इसे बनाने के पूर्व १८२३ में थॉमस मुन्द्रो और लिटेनर ने  एक सर्वेक्षण किया। सर्वे के अनुसार मुन्द्रो जिसने दक्षिण भारत का सर्वे किया १०० फीसदी साक्षरता थी (और पूरे भारत में सिर्फ जैविक पदार्थ खाते और […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।