दिल कहूँ दिलबर कहूँ

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bharat malhotra
दिल कहूँ दिलबर कहूँ दिलदार दिलरूबा कहूँ,
कभी तुम्हें सनम कहूँ कभी तुम्हें खुदा कहूँ,
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हमसफर तू हमकदम तू हमदम तू हमराज़ तू,
तुमको ही मंज़िल कहूँ तुमको ही रास्ता कहूँ,
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मौजूद ना होके भी तू हर वक्त मेरे पास है,
महबूब मेरे किस तरह मैं तुझको बेवफा कहूँ,
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सूरज कहूँ या चाँद तुम्हें गुल कहूँ बुलबुल कहूँ,
या देखूँ जिसमें खुद को मैं तुम्हें वो आईना कहूँ,
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जानता भी हूँ ये ख्वाब हैं हकीकतें नहीं,
फिर भी दिल ये मानता नहीं मैं इसको क्या कहूँ,
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भरत मल्होत्रा।
 
परिचय :- 
नाम- भरत मल्होत्रा 
मुंबई(महाराष्ट्र)
 
शैक्षणिक योग्यता – स्नातक 
वर्तमान व्यवसाय – व्यवसायी 
साहित्यिक उपलब्धियां – देश व विदेश(कनाडा) के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों , व पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित
सम्मान – ग्वालियर साहित्य कला परिषद् द्वारा “दीपशिखा सम्मान”, “शब्द कलश सम्मान”, “काव्य साहित्य सरताज”, “संपादक शिरोमणि”  
झांसी से प्रकाशित “जय विजय” पत्रिका द्वारा ” उत्कृष्ट साहितय सेवा रचनाकार” सम्मान एव 
दिल्ली के भाषा सहोदरी द्वारा सम्मानित, दिल्ली के कवि हम-तुम टीम द्वारा ” शब्द अनुराग सम्मान” व ” शब्द गंगा सम्मान” द्वारा सम्मानित  
प्रकाशित पुस्तकें- सहोदरी सोपान 
                         दीपशिखा 
                         शब्दकलश 
                         शब्द अनुराग 
                         शब्द गंगा 

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