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अलसाया-सा सूरज
ढांक के मुख
सो रहा है,
बादलों की गोद में
भोर ने जो रखा पांव,
धरा के मखमली
सीने पर
ओस की बूंदों ने
चूमा उनको,
चारों तरफ
कुछ भी
दिखाई नहीं देता,
दूर तक
जिधर भी देखो
एक धुंधलका-सा है,
मौसम में ठिठुरन
और हवाओं में भी
हल्की-सी नमी है,
प्रकृति का
अनुपम दृश्य
अनुभूति कराता है
कि आज
कोहरे ने दूर तक,
तानी है अपनी चादर।
#तारा प्रजापत ‘प्रीत’
परिचय: तारा प्रजापत ‘प्रीत’ का घर परम्पराओं के खास धनी राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ामें है। आपकी जन्मतिथि-१ जून १९५७ और जन्म-स्थान भी जोधपुर(राज.) ही है। बी.ए. शिक्षित तारा प्रजापत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई है तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। लेखन का उद्देश्य अभी तक तो शौक ही है।
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Mon Dec 4 , 2017
संस्मरण #डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ जब भी प्रेम के गीतों का बखान होगा,ज़ाफरान की तासीर का तरन्नुम बनेगा, कश्यप की धरती का गुणगान होगा, शंकराचार्य की जुबानी कही जाएगी, लालचौक से क्रांतिसूत्र माँगा जाएगा, डल झील से टपकते पानी की बात होगी, शिकारों और तैरनेवाले घर (हॉउस बोट) की […]
सुंदर