कला

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geeta diwedi
ओ कला !!! कहाँँ हो तुम ?  कब से आवाज दे रही हूँ । गली में चूड़ीवाला आया है । सुन्दर – सुन्दर चुड़ियाँ सजा रखी हैं उसने !  बड़बड़ाती हुई शकुन्तला देवी सीढ़ियों की ओर लपकीं । शायद अपने कमरे में होगी , कहते हुए उसके कमरे तक पहुँचीं । अभी फिर आवाज लगाने ही वाली थी कि कला की सिसकी सुन ,सहम सी गईं । सहसा उन्हें खयाल हो आया कि  कला के इकलौते भाई की , एक सड़क दुर्घटना में हुई मृत्यु को अभी एक महीने भी पूरे नहीं हुए थे । ऐसे में रक्षाबंधन का त्यौहार , उसके लिए दुखदायी तो होगा ही । और मैं !  अपने भाई की धुन में, ये क्या करने जा रही थी ….. क्या मैं स्वार्थी सास हूँ … क्या मेरे अन्दर की सम्वेदना मर चुकी है ?….नहीं , नहीं … ऐसा नहीं हो सकता । मैं कला की सास ही नहीं माँ भी हूँ । उसकी पीड़ा , मेरी पीड़ा है । जाती हूँ , उसका मनपसंद मूंग का हलवा बनाने। दोनों साथ बैठकर खाएंगे तो उसका मन दूसरी ओर लग जाएगा । ऐसा कहते हुए शकुंतला देवी रसोईघर की ओर चल दीं  । इधर कला अब चुप हो गई थी । शायद ‘ हलवे की खुशबू ‘ ने उसका ध्यान भंग कर दिया था और सासू माँ के काम में हाथ बटाने को चल पड़ी थी , रसोई की ओर …….।
श्रीमती गीता द्विवेदी 
सिंगचौरा(छत्तीसगढ़)
मैं गीता द्विवेदी प्रथमिक शाला की शिक्षिका हूँ । स्व अनुभूति से अंतःकरण में अंकुरित साहित्यिक भाव पल्वित और पुष्पीत होकर कविता के रुप में आपके समक्ष प्रस्तुत है । मैं इस विषय में अज्ञानी हूँ रचना लेखक हिन्दी साहित्यिक के माध्यम से राष्ट्र  सेवा का काम करना मेरा पसंदीदा कार्य है । मै तीन सौ से अधिक रचना कविता , लगभग 20 कहानियां , 100 मुक्तक ,हाईकु आदि लिख चुकी हूं । स्थानीय समाचार पत्र और कुछ ई-पत्रिका में भी रचना प्रकाशित हुआ है ।  

matruadmin

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डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष, ख़बर हलचल न्यूज़, मातृभाषा डॉट कॉम व साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। साथ ही लगभग दो दशकों से हिन्दी पत्रकारिता में सक्रिय डॉ. जैन के नेतृत्व में पत्रकारिता के उन्नयन के लिए भी कई अभियान चलाए गए। आप 29 अप्रैल को जन्में तथा कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। डॉ. अर्पण जैन ने 30 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण आपको विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन द्वारा वर्ष 2020 के अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से डॉ. अर्पण जैन पुरस्कृत हुए हैं। साथ ही, आपको वर्ष 2023 में जम्मू कश्मीर साहित्य एवं कला अकादमी व वादीज़ हिन्दी शिक्षा समिति ने अक्षर सम्मान व वर्ष 2024 में प्रभासाक्षी द्वारा हिन्दी सेवा सम्मान से सम्मानित किया गया है। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं, साथ ही लगातार समाज सेवा कार्यों में भी सक्रिय सहभागिता रखते हैं। कई दैनिक, साप्ताहिक समाचार पत्रों व न्यूज़ चैनल में आपने सेवाएँ दी है। साथ ही, भारतभर में आपने हज़ारों पत्रकारों को संगठित कर पत्रकार सुरक्षा कानून की मांग को लेकर आंदोलन भी चलाया है।