बच्चों-सा जीवन

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lalit sinh

जी करता है बच्चा बन जाऊं,
फिर से मैं ख्यालों में खो जाऊंl 

ना हो फिर कोई परवाह मुझे,
कुछ ऐसा फिर जीवन पा जाऊंl 

सुबह होते ही सबसे पहले,
टॉफी पाने की जिद में अड़ जाऊंl 

जाना न पड़े कभी स्कूल मुझे,
अपने लिए रोज बहाना बन जाऊंl 

कर दिया है सबने मजबूर मुझे,
रब करे बच्चों-सा मगरूर हो जाऊंl 

अपनी चीज को लेकर मैं सबसे,
झट-पट सबसे पहले-सा लड़ जाऊंl 

`ललित` दुआ करो कुछ ऐसी,
फिर से बच्चों-सा जीवन पा जाऊंll 

                                                                   #ललित सिंह

परिचय :ललित सिंह रायबरेली (उत्तरप्रदेश) में रहते हैं l आप वर्तमान में बीएससी में पढ़ने के साथ ही लेखन भी कर रहे हैंl  आपको श्रृंगार विधा में लिखना अधिक पसंद है l स्थानीय पत्रिकाओं में आपकी कुछ रचना छपी है l 

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