कब दीवारों से झाँकता है कोई…

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bharat malhotra
कब दीवारों से झाँकता है कोई,
मुझको शायद मुगालता है कोई,
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मुड़ के देखा हवा का झोंका था,
लगा ऐसे पुकारता है कोई,
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रूबरू होती है मुलाकातें,
अब कहाँ चिट्ठी बांचता है कोई,
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इस तरह आजकल वो मिलता है,
जैसे एहसान उतारता है कोई,
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तुम्हें मालूम क्या कि तेरे बिन,
कैसे जीवन गुज़ारता है कोई,
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तूने मुँह फेरा तो सुकून हुआ,
शहर में हमको जानता है कोई,
====================
भरत मल्होत्रा।
परिचय :- 
नाम- भरत मल्होत्रा 
मुंबई(महाराष्ट्र)
शैक्षणिक योग्यता – स्नातक 
वर्तमान व्यवसाय – व्यवसायी 
साहित्यिक उपलब्धियां – देश व विदेश(कनाडा) के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों , व पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित
सम्मान – ग्वालियर साहित्य कला परिषद् द्वारा “दीपशिखा सम्मान”, “शब्द कलश सम्मान”, “काव्य साहित्य सरताज”, “संपादक शिरोमणि”  
झांसी से प्रकाशित “जय विजय” पत्रिका द्वारा ” उत्कृष्ट साहितय सेवा रचनाकार” सम्मान एव 
दिल्ली के भाषा सहोदरी द्वारा सम्मानित, दिल्ली के कवि हम-तुम टीम द्वारा ” शब्द अनुराग सम्मान” व ” शब्द गंगा सम्मान” द्वारा सम्मानित  
प्रकाशित पुस्तकें- सहोदरी सोपान 
                         दीपशिखा 
                         शब्दकलश 
                         शब्द अनुराग 
                         शब्द गंगा 

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