Read Time1 Minute, 45 Second
कब दीवारों से झाँकता है कोई,
मुझको शायद मुगालता है कोई,
====================
मुड़ के देखा हवा का झोंका था,
लगा ऐसे पुकारता है कोई,
====================
रूबरू होती है मुलाकातें,
अब कहाँ चिट्ठी बांचता है कोई,
====================
इस तरह आजकल वो मिलता है,
जैसे एहसान उतारता है कोई,
====================
तुम्हें मालूम क्या कि तेरे बिन,
कैसे जीवन गुज़ारता है कोई,
====================
तूने मुँह फेरा तो सुकून हुआ,
शहर में हमको जानता है कोई,
====================
भरत मल्होत्रा।
परिचय :-
नाम- भरत मल्होत्रा
मुंबई(महाराष्ट्र)
शैक्षणिक योग्यता – स्नातक
वर्तमान व्यवसाय – व्यवसायी
साहित्यिक उपलब्धियां – देश व विदेश(कनाडा) के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों , व पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित
सम्मान – ग्वालियर साहित्य कला परिषद् द्वारा “दीपशिखा सम्मान”, “शब्द कलश सम्मान”, “काव्य साहित्य सरताज”, “संपादक शिरोमणि”
झांसी से प्रकाशित “जय विजय” पत्रिका द्वारा ” उत्कृष्ट साहितय सेवा रचनाकार” सम्मान एव
दिल्ली के भाषा सहोदरी द्वारा सम्मानित, दिल्ली के कवि हम-तुम टीम द्वारा ” शब्द अनुराग सम्मान” व ” शब्द गंगा सम्मान” द्वारा सम्मानित
प्रकाशित पुस्तकें- सहोदरी सोपान
दीपशिखा
शब्दकलश
शब्द अनुराग
शब्द गंगा
Post Views:
692