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प्रेम समर्पण है,
अधिकार नहीं।
प्रेम पावनता है,
वासना नहीं।
प्रेम शक्ति है,
कमज़ोरी नहीं।
प्रेम त्याग है,
स्वार्थ नहीं।
प्रेम तृप्ति है,
प्यास नहीं।
प्रेम शीतल है,
ताप नहीं।
प्रेम छाँव है,
धूप नहीं।
प्रेम विश्वास है,
फ़रेब नहीं।
प्रेम व्यापक है,
संकुचित नहीं।
प्रेम गंम्भीर सागर है,
चंचल नदियां नहीं।
प्रेम में ठहराव है,
बहाव नहीं।
प्रेम एक भाव है,
कोई कर्म नहीं।
प्रेम सुबह की लाली है,
ढलती शाम नहीं।
प्रेम केवल प्रेम है,
और कुछ नहीं।
#तारा प्रजापत ‘प्रीत’
परिचय: तारा प्रजापत ‘प्रीत’ का घर परम्पराओं के खास धनी राज्य राजस्थान के जोधपुर स्थित रातानाड़ामें है। आपकी जन्मतिथि-१ जून १९५७ और जन्म-स्थान भी जोधपुर(राज.) ही है। बी.ए. शिक्षित तारा प्रजापत का कार्यक्षेत्र-गृहस्थी है। पत्रिकाओं और दो पुस्तकों में आपकी रचनाएँ प्रकाशित हुई है तो अन्य माध्यमों में भी प्रसारित हैं। लेखन का उद्देश्य अभी तक तो शौक ही है।
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Mon Oct 9 , 2017
इस बार दिवाली पर जमकर खुशी मनाना तुम, खुशी की ख़ातिर बस मिट्टी के दीए जलाना तुम। राम आएंगे तुम्हारे घर लेकिन राम किसी के बन जाना तुम, जो तरसे हैं रोटी को,उनकी रोटी का साधन बन जाना तुम। जो जला रहे हैं देश को,उस देश का सामान न जलाना […]