
तो बस युद्ध जारी है…,
विराम कहाँ…
हो चाहे सांझ समर में…,
विराम कहाँ…l
मैदान कहीं…,
संग्राम कहाँ…
भाले,बरछी और गदा…,
तरकश के हैं तीर कहाँ…l
चट्टानों-सा सीना लेकर…,
डटे हुए सैनानी हैं…
तकरार नहीं कोई…बैर कहाँ…
बस युद्ध…युद्ध…युद्ध,
विराम कहाँ ?
#अवनीश जैन
परिचय:लेखन,भाषण,कला और साहित्य की लगभग हर कला में पारंगत अवनीश जैन बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी हैं। ४७ बरस के श्री जैन ने महज ९ वर्ष की उम्र में पत्रकारिता से जिंदगी की शुरुआत की और विभिन्न व्यवसायों में यात्रा करते हुए कई वर्षों से शिक्षा और प्रशिक्षण में व्यस्त हैं। इंदौर निवासी श्री जैन कई औद्योगिक और रहवासी संस्थानों के वास्तु सलाहकार भी हैं। अब तक कई कविताएं-कहानियाँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। लिखना आपकी पंसद का कार्य है,साथ ही शिक्षा के छोटे-बड़े कई संस्थानों में प्रेरणादायक प्रशिक्षक के तौर पर अनेक कार्यक्रम कर चुके हैंl