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कुछ लोग आज जीवन मे जरूरी है।
जब तक वो किसी के लिए जरूरी है।।
निभा रहे है हर रिश्ते को सभी लोग।
कैसी ये आजकल लोगो की मजबूरी है।।
समंदर की लहरों पर खेय रहा है नैया।
पता ही नही,माझी की क्या मजबूरी है।।
ना ही इस पार है,ना ही उस पार है मंजिल।
फिर भी नैया को खेना, हर माझी की मजबूरी है।।
मंजिल पर कभी नही पहुचता है माझी।
जब तक नैया खेना उसकी मजबूरी है।।
कोई भी रिश्ता जब तक अधुरा है।
जब तक षडयंत्रो ने इन्हें घेरा है ।।
#नीरज त्यागीग़ाज़ियाबाद (उ. प्र)
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