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जयतु भारती ज्ञान दायिनी,
सृजन शक्ति दे हंस वाहिनी॥
सगुण छंद प्रीति बढ़ाइए,
कलम से सुगंगा प्रवाहिए॥
नित करूँ तुझे छंद वंदना,
सुफल बाल दे शीत चंदना॥
प्रबल कामना प्राण में रही,
सतत सत्य की चेतना बही॥
(4चरण,दो-दो समतुकांत )
#श्रीमन्नारायण चारी ‘विराट’
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