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सड़क भी बोलती है,
बहुत कम ही सही
अपने लबों को खोलती है,
सुर्ख हो जाते हैं,
पर शिकायत तब भी नहीं..
अपने सीने पर लगे
घावों को बताती नही,
बारिश का पानी
भर आता है उनमें
टीसता है जैसे,
घावों पर नमक
बरबस आपका ध्यान
खींचती नही।
एक पत्ते की मानिंद,
जो पल दो पल का
मेहमान है
हवा के झोंके के
इंतजार में
शायद उसकी सुर्खियों से
आप दर्द महसूस लें,
सीने में
बहते लावे को
रिसते नासूर को,
सहला कर
सड़क के घावों को
पूर दें,
कृपया ध्यान
जरूर दें॥
#अरुण कुमार जैन
परिचय: सरकारी अधिकारी भी अच्छे रचनाकार होते हैं,यह बात
अरुण कुमार जैन के लिए सही है।इंदौर में केन्द्रीय उत्पाद शुल्क विभाग में लम्बे समय से कार्यरत श्री जैन कई कवि सम्मेलन में काव्य पाठ कर चुके हैं। उच्च शिक्षा प्राप्त सहायक आयुक्त श्री जैन का निवास इंदौर में ही है।
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Tue Jul 18 , 2017
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वाह | सड़क भी बोलती है | बहुत सुंदर