Read Time49 Second
हम वंशज हैं उस हिन्दू धर्मात्मा के,
जो मृत्यु के बाद भी पितरों कॊ जल चढ़ाते हैं।
और जीवित में ही नहीं, हम हिन्दू वरन
मरने के बाद भी पितृभक्ति का धर्म निभाते हैं।
कोई लाख उड़ाए उपहास सही, लेकिन,
ये उपहास हरगिज नहीं हमें डिगाते हैं।
करने को सेवा अपने माँ-बाबा की,
हम तो श्रवणकुमार तक बन जाते हैं।
पितृभक्ति में तो मेरे आराध्य प्रभु राम भी,
चौदह वर्ष को वन तक भी चले जाते हैं।
कारण यही है इस दुनिया में,केवल हम हिन्दू,
पितरों को हर वर्ष सेवाभाव से बुलाते हैं॥
#एड. नवीन बिलैया
Average Rating
5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%
पसंदीदा साहित्य
-
June 4, 2018
भारत अपनी गाथा खुद गाता है
-
July 16, 2018
बॉयोपिक या सत्य घटना पर फिल्मो का बढ़ता चलन
-
June 6, 2019
वृक्ष हमारे संरक्षक
-
August 23, 2020
वर्तमान के वर्धमान विद्यासागर
-
September 1, 2017
बंद कर आतंक का खेल