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सड़कों पर उमड़ा जनसमुदाय
लाखों की तादात में नर-नारी,
आस्था के अथाह सागर में डूबने को तत्पर,
किसी को मारकर या मरकर,
बचाने अपने भगवान को,
अब भगवान को बचाने के लिए
भक्तों की जरूरत पड़ने लगी है,
तर्क पर अंधभक्ति भारी पड़ने लगी है।
भगवान कटघरे में है,
दोषों से मढ़े है
फिर भी भक्तों के सिर चढ़े है,
समय परिवर्तन लाता है
गाय चराने वाले भगवन
ट्रैक्टर चलाने लगे,
कुंदन छोड़कर क्रिकेट खेलने लगे
अब गोपियां भी बदल गई,
माँ यशोदा के बजाय
पुलिस से शिकायत करती है,
पर भगवन तो कोई गलती
कर ही नहीं सकते।
मूढ़ मानव तो गलतियों का पुतला है,
और उसका बनाया तंत्र तो गलत है ही,
कोर्ट, कचहरी, पुलिस, प्रशासन,
कहाँ समझ पाएंगे प्रभु की लीला
अपरम्पार, अथाह, अपार॥
#जे.पी.पाण्डेय
परिचय: जे.पी.पाण्डेय का निवास उत्तराखंड राज्य के शहर मसूरी में है। आपकी जन्मतिथि-९ अप्रैल १९७६ तथा जन्म स्थान-भिलाई है। एमए और एलएलबी की शिक्षा हासिल करके बतौर कार्यक्षेत्र आप प्रशासनिक सेवा(इंडियन रेलवे पर्सनल सर्विस)में हैं।
लेखन क्षेत्र में आपकी विधा-कविता, कहानी और संपादकीय लेख है। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रुप से लेखन जारी है। लेखन में आपको ‘आगमन साहित्य सम्मान’ मिला है तो प्रशासनिक सेवा में उत्कृष्टता के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त किया है। लेखन का उद्देश्य-सामाजिक सरोकार निभाते हुए विसंगतियों का चित्रण करके उन्हें सुधारना है।
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