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ऋषि-मुनियों की संस्कृति
त्याग-तपस्या और आत्मज्ञान,
आत्म साक्षात्कार सविवेक
रखते सभी धर्म की टेक,
यथावत् मर्यादा व्यवहार
टिका उस पर सद् व्यवहार,
हमारी आश्रम व्यवस्था का
यही तो था आधार,
ब्रह्मचर्य वानप्रस्थ सन्यास
अर्थ संचय से रहते दूर,
अर्थ ही अनर्थ की जड़ है
मठाधिपति बने अर्थ के गढ़ है।
जनता छोड़े अविवेक
भक्ति के साथ हो ज्ञान विवेक,
अध्यात्म नहीं है केवल भीड़
संभालें अपना शुभ नीड़,
देव असुर वृत्ति के स्वभाव
चले आ रहे सदा से भाव,
पर सज्जनता पर है यह भार
रखे सबको सजग संभाल,
राज्य भी करे पूर्ण सहयोग
प्रजा भी करे सही उपयोग।
#पुष्पा शर्मा
परिचय: श्रीमती पुष्पा शर्मा की जन्म तिथि-२४ जुलाई १९४५ एवं जन्म स्थान-कुचामन सिटी (जिला-नागौर,राजस्थान) है। आपका वर्तमान निवास राजस्थान के शहर-अजमेर में है। शिक्षा-एम.ए. और बी.एड. है। कार्यक्षेत्र में आप राजस्थान के शिक्षा विभाग से हिन्दी विषय पढ़ाने वाली सेवानिवृत व्याख्याता हैं। फिलहाल सामाजिक क्षेत्र-अन्ध विद्यालय सहित बधिर विद्यालय आदि से जुड़कर कार्यरत हैं। दोहे,मुक्त पद और सामान्य गद्य आप लिखती हैं। आपकी लेखनशीलता का उद्देश्य-स्वान्तः सुखाय है।
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Mon Sep 4 , 2017
कब कहाँ किसी की भी अर्जियाँ समझती हैं, बिजलियाँ गिराना बस बिजलियाँ समझती हैं। गर पकड़ में आई तो पंख नोचे जाएंगे, बाग़ की हकीकत सब तितलियाँ समझती हैं। पहले दाने डालेगा फिर हमें फँसाएगा, चाल यह मछेरे की मछलियाँ समझती हैं। फ़्लैट कल्चर आया है जब से अपने शहरों […]