आर्चायश्री 108 विद्यासागर जी

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कलयुग में मिले है,
सतयुग जैसे गुरुवर
लोग जिन्हें कहते है विद्यासागर।

त्याग तपस्या की,
है वो एक मिसाल।
कितनी कठिन साधना,
करते है हर पल।
तभी लोग कहते उन्हें,
कलयुग के भगवान।।

धारण किये हुए है
आगम की चादर।
उसके अनुसार ही,
करते अपने कर्म।
देते उपदेश वो सदा,
आगम के अनुसार।
तभी लोग कहते उन्हें,
कलयुग के भगवान।।

जितनी दी दीक्षाएं,
अब तक उन्होंने।
सब के सब है,
मुनि बाल ब्रह्मचारी।
उनके शिष्य गण,
बिखरे है हर दिशा में।
और जैनधर्म की धुजा,
चारो तरफ फेरा रहे।।
तभी लोग कहते उन्हें,
कलयुग के भगवान।।

जैसे है गुरु ज्ञानी,
वैसे ही उनके शिष्य।
ये सब भी चलते सदा,
आगम के अनुसार।
और प्रचार कर रहे,
जैनधर्म का नाम।
साथ ही रोशन कर रहे,
अपने गुरु का नाम।।
तभी लोग कहते उन्हें,
कलयुग के भगवान।।

#संजय जैन 

परिचय : संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं पर रहने वाले बीना (मध्यप्रदेश) के ही हैं। करीब 24 वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं।ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों  पर भी दिखा चुके हैं। इसी प्रतिभा से  कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें  सम्मानित किया जा चुका है। मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखते हैं। मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की  शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है,जबकि लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।

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