वाह रे वाह जमाना,
तो शुरु करते हैं अत्याचार,
भुलाकर मानवता की सीमा
रच ढोंग अध्यात्म का,
वाह रे वाह जमाना l
राम-रहिमन की मर्यादा की,
वाह रे वाह जमाना l
पहन फकीरों और बाबाओं का चोला,
जग लूट-लूटकर खाता है
पढ़ा-पढ़ाकर पाठ घृणा का ये,
जग हिंसा खूब करवाता है
वाह रे वाह जमाना l
जब तक मिले न सजा कुकर्मों की,तो
अच्छी सरकार सब कुछ है अपना
मिलती सजा जब पल में,
शुरू करते हैं विद्रोह करना
वाह रे वाह जमाना l
परिचय : माधव कुमार झा दिल्ली के जहाँगीर पुरी में रहते हैं l आपकी जन्म तिथि २० अगस्त १९९२ तथा जन्म स्थान-गांव धेरूख पोस्ट बेनीपुर(बिहार) है l