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चलते-चलते थक गया हूँ मैं बहुत,
गोद में माँ तेरी सोना चाहता हूँ।
दिल भरा है पर बहुत खामोश हूँ,
आँचल से लिपट बस रोना चाहता हूँ।
जी करे जी भर के जिद तुमसे करुं,
माँ मैं फिर से जिद्दी होना चाहता हूँ।
जिसे पाकर भूल जाऊं दुनिया का गम,
खेलने को ऐसा खिलौना चाहता हूँ।
मुझको लौटा दो माँ बचपन के दिन,
मैं उसी दुनिया में खोना चाहता हूँ॥
#अमित शुक्ला
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