तुम चले गए

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rashmi thakur

मेरे अहसास वो खूबसूरत से सपने,
सब कुछ संग अपने बटोर ले गए…l 

हर आहट मुझे तेरी ही लगती थी,
अब इस चहल-पहल को भी सूना कर गए…l 

हम इंसान थे हरे-भरे चलते-फिरते पेड़ से,
तुम हमें पतझड़ का कोई पेड़ कर गए…l 

हँसते थे बहुत ही मुस्कराते थे हर बात पर,
तुम क्यों कोई चाबी वाला खिलौना कर गए…l 

बहुत इल्जाम सहे नफ़रतें भी सही बहुत,
तुम क्यों न समझे मुझे बस अकेला कर गए…l 

चैन नहीं पल भर का,अब इस जीवन में हमको,
खुद में ही जीने लगे,क्या जादू-टोना कर गए…l 

सुकूँ नहीं इस दिल को तेरे छोड़कर जाने से,
जाते-जाते मुझ पर जाने कितने इल्जाम लगा गए…l 

अब न करेंगे तेरा इंतज़ार कभी लौटकर आने का,
अपनी कुछ बातों से दिल नफरतों से भर गए…l 

                                                                        #रश्मि ठाकुर

परिचय: रश्मि ठाकुर पेशे से शिक्षक हैं और कविताएँ लिखने का शौक है।आप मध्यप्रदेश के दमोह जिले के खमरिया(बिजौरा) में रहती हैं।लिखने का शौक बचपन से ही है,पर तब समय नहीं दे पाई। अब फिर से प्रेम विरह की रचनाओं पर पकड़ बनाई और प्रेम काव्य सागर से सम्मानित किया जा चुका है। पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित होती रहती है। सोशलिस्ट मीडिया पर भी आप सक्रिय हैं। रश्मि ठाकुर की जन्मतिथि-३ सितम्बर १९७७
तथा जन्म स्थान-खमरिया (दमोह) है। बी.ए.,एम.ए. के साथ ही बी.एड करके शिक्षा को कार्यक्षेत्र(स्कूल में सामाजिक विज्ञान की शिक्षिका)बना रखा है। आपके लेखन का उद्देश्य-झूठ छल फ़रेब औऱ अपने आसपास हो रही घटनाओं को नज़र में रखते हुए उनका वास्तविक चित्रण रचनाओं के माध्यम से करना है।

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।