लह़द पर आकर मेरी आंसू बहाओगी,
जो दिल की बात अभी नहीं बताओगी l
कल्ब का हो जाएगा तेरा हाले-ज़ार,
फिर किसको अपना जख्म दिखाओगी l
शादमां न हो सकोगी कभी भी तुम,
लैलो-नह़ार ग़मज़दा जीवन बिताओगी l
करोगी इश़्क जब इक इबादत मानकर,
तो खुद पर इख्तियार कैसे कर पाओगी l
रिंद-सा चेहरा हो गया है अब तो मेरा,
मुझ पर भी क्या कोई लतीफा सुनाओगी l
ख़म नहीं हैं तेरी जुल्फों में अब उतना,
गम की लकीरें कैसे चेहरे से छुपाओगी l
बेवफ़ाई की तुमने मेरे साथ मुहब्बत में,
दूसरे से साथ बावफ़ा कहां बन जाओगी l
हम तो न जी पाएंगे फ़कत तुम्हारे बिन,
तुम ‘ललित’ बिन कैसे जीवन बिता पाओगी l
#ललित सिंह
परिचय :ललित सिंह रायबरेली (उत्तरप्रदेश) में रहते हैं l आप वर्तमान में बीएससी में पढ़ने के साथ ही लेखन भी कर रहे हैंl आपको श्रृंगार विधा में लिखना अधिक पसंद है l स्थानीय पत्रिकाओं में आपकी कुछ रचना छपी है l