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बैसाख का महीना
ग्रीष्म ऋतु का आगमन
सूरज की गुनगुनाती धूप
खिड़कियों से झांकती
इतराती,इठलाती
संदली सी धूप फिर
चिलचिलाती
तपती दुपहरी
गर्मी की तपिस से
तपता वदन
कठिन परिश्रम करते
मजदूर लोग
टप-टप टपके
तन से पसीना
अनवरत कार्य करते
देखते है तो मन
अनायस ही कुछ
कहने को बेताब
अथक परिश्रम कर
थककर चूर हुए
जब शीतलता में
विश्राम करते है
सच दुनियां में
उन लोगों के
मेहनत से ही
मकान खड़े हो जाते है
जिसमें हम रहते है
खुद रहते झोपड़ी में
सर्दी,गर्मी,बारिश सहते हुए
थककर चूर हुए
सो जाते गहन निद्रा में
भोर होते ही हो जाते
वही अनवरत
कार्य में लीन।
#सुमन अग्रवाल “सागरिका”
आगरा(उत्तरप्रदेश)
नाम :- सुमन अग्रवाल
पिता का नाम :- श्री रामजी लाल सिंघल
माता का नाम :- श्रीमती उर्मिला देवी
शिक्षा :-बी. ए.
व्यवसाय :- हाउस वाइफ
प्रकाशित रचनाएँ :-
प्रकाशित रचनाओं का विवरण :-
1.अग्रवंश दर्पण :-“नारी सुरक्षा चूंक कहाँ “, “महिला सशक्तिकरण “, “500-1000 के नोट बाय-बाय”, “दहेज प्रथा”, “अग्रप्रर्वतक महाराज अग्रसेन जी पर कविता” इत्यादि।
2.हिचकी :- “ये होली का त्यौहार”
3.D.L.A :- “आतंकवाद”, “बालदिवस”, “करवा चौथ”, आतंक का साया, “नववर्ष मुबारक”, “राष्ट्रप्रेमी” इत्यादि।
4.नारी शक्ति सागर :- “ग़ज़ल”
5. वर्तमान अंकुर नोएडा :- “घर-परिवार, नारी शक्ति, भारतीय लोकतंत्र
साहित्य एक्सप्रेस में – नव संवत्सर
6.सहित्यापीडिया :- माँ
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Wed May 1 , 2019
जब हर तरफ रचनाकारों का शौर है, हाहाकार मचा हुआ है हिन्दी के लेखकों का, कवियों की भरमार है, हजारों लघुकथाकार और कहानीकार है, रोज नया सृजन हो रहा है, सैकड़ों रचनाएँ रोज लिखी जा रही है, साहित्य की समृद्धता की ओर कदम दिन-प्रतिदिन बढ़ रहें है, प्रकाशन की क्रांति […]