गुरू दीक्षा

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vijay chouhan
गुरूपूर्णिमा का पावन दिन,दरबार में शिष्यों का तांता लगा हुआ है। आज गुरूजी के दर्शन के लिए सुशील अपनी माता जी को भी ले आया। माताजी ने सुशील का हाथ पकड़कर गुरू गादी तक का सफर तय किया। प्रणाम,कर माताजी गुरू का अभिवादन कर बैठी ही थी कि, गुरूजी ने माताजी से पूछ ही लिया-`बहना तुम्हारा गुरू कौन है ? क्या गुरू दीक्षा ली या बिना दीक्षा के ही जाने का इरादा है`।  
गुरूजी के प्रश्न का माताजी ने बड़ी विन्रमता से उत्तर दिया-`भगवन मैंने स्वयं से ही दीक्षा ली है,और मेरे तीन गुरू हैं`।  यह सुनकर गुरूजी अचरज में पड़ गए। माताजी ने कहा कि-‘मेरा पहला गुरू मेरे माता-पिता हैं,जिन्होंने मुझे जन्म दिया, जीवन शिक्षण और संस्कार दिए। दूसरे गुरू मेरे पति थे,जिनकी आज्ञा का पालन ही मेरा सर्वोपरि कर्म रहा। मैंने कभी भी पति आज्ञा की अवहेलना नहीं की,उसे गुरू आदेश मानकर जीवन सफर तय किया। और मेरा तीसरा गुरू मैंने परिवार को माना’। 
इन वचनों को सुनकर गुरूवर ने माताजी को प्रणाम कर अभिवादन किया और सम्मान स्वरूप श्रीफल भेंट किया।  गुरूजी ने कहा-‘आपने सही मायनों में गुरू दीक्षा ली है,और गृहस्थाश्रम को पूर्ण करने जा रही हैं,आप धन्य हैं’।

#विजयसिंह चौहान

परिचय : विजयसिंह चौहान की जन्मतिथि  ५ दिसंबर १९७० और जन्मस्थान इन्दौर हैl आप वर्तमान में इन्दौर(मध्यप्रदेश)में बसे हुए हैंl इन्दौर शहर से ही आपने वाणिज्य में स्नातकोत्तर के साथ विधि और पत्रकारिता विषय की पढ़ाई की हैl आपका  कार्यक्षेत्र इन्दौर ही हैl सामाजिक क्षेत्र में आप सामाजिक गतिविधियों में सक्रिय हैं,तो स्वतंत्र लेखन,सामाजिक जागरूकता,तथा संस्थाओं-वकालात के माध्यम से सेवा भी करते हैंl विधा-काव्य,व्यंग्य,लघुकथा व लेख हैl उपलब्धियां यही है कि,उच्च न्यायालय(इन्दौर) में अभिभाषक के रूप में सतत कार्य तथा स्वतंत्र पत्रकारिता में मगन हैंl 

 

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आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।