मैं आशा हूँ 

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rita
मैं आशा हूँ,
मैं किरण हूँ
मैं झील हूँ,
मैं बहती नदी हूँ।
मैं सरोवर में,
खिलने वाला कमल हूँ
मैं दो दिलों का संगम हूँ,
विद्रोहियों का जंगम हूँ।
मैं राष्ट्रगान की कद्रगान हूँ,
जन-गण-मन का करती गुणगान हूँ
मैं बरखा की स्वाति  हूँ,
मैं आशाओं का दीप हूँ।
मैं जलती हुई मशाल हूँ,
मैं दीपक की बाती हूँ
मैं दुश्मनों की बजाती बीन हूँ,
मैं दुर्गा हूँ मैं काली हूँ।
मैं देश की प्रहरी हूँ,
मैं ज्वालामुखी हूँ
मैं रूप का श्रंगार हूँ,
दुश्मनों के लिए अंगार हूँ॥                                                 #रीता अरोड़ा ‘जय हिन्द हाथरसी’

परिचय : कवियित्री रीता अरोड़ा साहित्यिक रूप से जय हिन्द हाथरसी के नाम से जानी जाती हैंl.आप स्थायी रूप से दिल्ली में ही निवास करती हैंl.जन्म १९६४ में हाथरस (जिला अलीगढ़,उत्तर प्रदेश) में होने के बाद बीए और बीएड की शिक्षा प्राप्त की तथा लेखन में उतर आईl.जीविका के लिए आपने भाई-बहिन का सहयोग लेने के साथ ही कोरियर कंपनी में कार्य भी कियाl..कवि इंद्रजीत तिवारी और निर्भीक जी वाराणसी  के साथ ही काव्य की शिक्षा राष्ट्रीय कवि संगम (दिल्ली) से हासिल की हैl.आपकी प्रेरणा का स्त्रोत जगदीश मित्तल(संस्थापक-राष्ट्रीय कवि संगम) रहे हैं, तो मार्गदर्शक अशोक कश्यप हैंl साहित्य लेखन में परिवार और मित्रजनों का सहयोग मिलता हैl पुस्तकें पढ़ना,धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण एवं लेखन  कार्य ही आपका मनपसंद काम है l

सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर आप समाजसेवी संस्थाओं  से जुड़ी हुई हैंl देशसेवा,पशु-पक्षियों व जानवरों से लगाव तथा साहित्य से प्रेम के साथ ही पसंदीदा खेल-बैडमिंटन,कैरम और शतरंज हैंl साहित्य में उपलब्धि यही है कि,बहुत-सी पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित, समाचार-पत्रों में लेखन,कहानी,निबंध,शायरियां,दोहे, कविताएँ,हास्य लेख प्रकाशित होते रहते हैंl आपको विश्वगुरू भारत परिषद-2017 सम्मान,काव्य सम्मान,जय हिन्द मंच से सम्मान सहित प्रादेशिक स्तर पर भी काव्य सम्मान मिले हैंl आपका  लक्ष्य हिन्दी साहित्य में योगदान देना और देशा में जागरूकता लाना हैl

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