हिन्दी ही हिन्द

0 0
Read Time2 Minute, 51 Second
 sunil naman
भारतवर्ष में हिन्दी एक वरदान है,
हिन्दी ने बनाई विश्व में अपनी पहचान है।
हर अक्षर में हिन्दी अमृत घोलती,
भारत की जनता है जो हिन्दी बोलती।
शब्द-शब्द इसका प्राणवायु संस्कृति की फूंकता,
जग सारा हिन्दी के इर्द-गिर्द ही घूमता।
भारत के मस्तक की भाल है हिन्दी,
भारत की आन,बान और शान है हिन्दी।
हिन्दी, हिन्द की भाषा अनमोल,
कितने प्यारे इसके बोल।
हिन्दू,मुस्लिम,सिख,ईसाई,
हिन्दी सबमें ही समाई,
हिन्दी से न हमें कोई रूसवाई।
अलख स्वतंत्रता का हिन्दी ने जगाया,
अंग्रेजी सरकार को जिसने मातृभूमि से भगाया।
हिन्दी, जन-जन की भाषा है,
हिन्दी ही हिन्द की असली परिभाषा है।
वैज्ञानिकता में डूबी है,शब्दों का अतुल्य भंडार है,
हिन्दी में ही झलकती शालीनता,हिन्दी हमारा व्यवहार है।
अक्षय इसका शब्दकोश,सरल सहजता में डूबी हिन्दी,
अंग्रेजी के जो पल में लगा देती है बिन्दी।
हिन्दी ईश्वर की अनमोल देन, गंगाजल जैसी पवित्रता से आती हिन्द की खुशबू, हिन्दी तो भारत का इत्र है।
महादेवी, पंत, निराला और मुंशी प्रेमचंद हिन्दवी रत्न।
हिन्दी ने भारत की एकता,अखंडता के लिए सदा किए हैं प्रयत्न।
मीरा,तुलसी,कबीर, सूर और रसखान हिन्दी के रहे ताज,
हिन्दी का साहित्य अनूठा,करेगा विश्व पर सदा राज।
अनुपम हिन्दी का गौरव है,यूएनओ तक खिली इसकी कलियां है।
हिन्दी से महकती आज विश्व की गलियां है।
हिन्द देश हिन्दवी से आज महक रहा,
विश्व कोयल की सी मधुर भाषा के लिए आज तरस रहा।
हिन्दी वतन है,हिन्दी हमें प्यारी है,
हिन्दी भारतीयों की ही नहीं,पूरे जग की बन रही दुलारी है।
                                                                       #सुनील कुमार
परिचय :सुनील कुमार लेखन के क्षेत्र में धार्विक नमन नाम से जाने जाते हैं। आप वर्तमान में डिब्रूगढ़ (असम)में हैं,जबकि मूल निवास झुन्झुनूं (राजस्थान) है।  शैक्षणिक योग्यता एम.ए. (अंग्रेजी साहित्य,समाज शास्त्र,)सहित एम.एड., एमफिल और बीजेएमसी भी है।

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

भागदौड़ भरी जिंदगी में दाम्पत्य जीवन पर प्रभाव

Fri Aug 18 , 2017
अभी कुछ दिन पहले चौथ माता का व्रत किया। सुहागिनें बड़ी अभिलाषा और आस्था से ये व्रत और भी न जाने कितने व्रत पूजा आदि करती हैं। मन में एक प्रश्न उठा कि, ये सात जन्मों के साथ वाली जो अवधारणा विवाह के साथ जुड़ी है, वह आज भले ही […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।