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वे सारे लोग सिर झुकाकर खड़े थे। उनके कांधे इस कदर झुके हुए थे कि पीठ पर कूबड़-सी निकली लग रही थी। दूर से उन्हें देखकर ऐसा लग रहा था जैसे सिरकटे जिस्म पंक्ति बद्ध खड़े हैं।
मैं उनके नजदीक गया। मैं चकित था कि ये इतनी लम्बी लाईन लगा कर क्यों खड़े हैं?
“क्या मैं इस लम्बी कतार की वजह जान सकता हूं?” नजदीक खड़े एक जिस्म से मैंने प्रश्न किया।
उसने अपना सिर उठाने की एक असफल कोशिश की। लेकिन मैं यह देखकर और चौंक गया कि उसकी नाक के नीचे बोलने के लिए कोई स्थान नहीं है।
तभी उसकी पीठ से तकरीबन चिपके हुए पेट से एक धीमी सी आवाज आई, “हमें पेट भरना है और यह राशन की दुकान है।”
“लेकिन यह दुकान तो बन्द है। कब खुलेगी यह दुकान?” मैंने प्रश्न किया।
“पिछले कई वर्षों से हम ऐसे ही खड़े हैं। इसका मालिक हमें कई बार आश्वासन दे गया कि दुकान शीघ्र खुलेगी और सबको भरपेट राशन मिलेगा।” आसपास खड़े जिस्मों से खोखली सी आवाजें आईं।
“तो तुम लोग… अपने हाथों से क्यों नहीं खोल लेते यह दुकान?” पूछते हुए मेरा ध्यान उनके हाथों की ओर गया तो आंखें आश्चर्य से विस्फरित हो गई।
मैंने देखा कि सारे जिस्मों के दोनों हाथ गायब थे।
#सतीश राठी
परिचय-नाम- सतीश राठी।
जन्म :23 फरवरी 1956 को इंदौर में जन्म।
शिक्षा: एम काम, एल.एल.बी ।
लेखन: लघुकथा ,कविता ,हाइकु ,तांका, व्यंग्य, कहानी, निबंध आदि विधाओं में समान रूप से निरंतर लेखन । देशभर की विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में सतत प्रकाशन।
सम्पादन:क्षितिज संस्था इंदौर के लिए लघुकथा वार्षिकी ‘क्षितिज’ का वर्ष 1983 से निरंतर संपादन । इसके अतिरिक्त बैंक कर्मियों के साहित्यिक संगठन प्राची के लिए ‘सरोकार’ एवं ‘लकीर’ पत्रिका का संपादन।
प्रकाशन:पुस्तकें शब्द साक्षी हैं (निजी लघुकथा संग्रह), पिघलती आंखों का सच (निजी कविता संग्रह )।
संपादितपुस्तकें -तीसरा क्षितिज(लघुकथा संकलन), मनोबल(लघुकथा संकलन), जरिए नजरिए (मध्य प्रदेश के व्यंग्य लेखन का प्रतिनिधि संकलन)
साझा संकलन- समक्ष (मध्य प्रदेश के पांच लघुकथाकारों की 100 लघुकथाओं का साझा संकलन) कृति आकृति(लघुकथाओं का साझा संकलन, रेखांकनों सहित), क्षिप्रा से गंगा तक(बांग्ला भाषा में अनुदित साझा संकलन),
अनुवाद: निबंधों का अंग्रेजी, मराठी एवं बंगला भाषा में अनुवाद ।लघुकथाएं मराठी, कन्नड़ ,पंजाबी, गुजराती,बांग्ला भाषा में अनुवादित । बांग्ला भाषा का साझा लघुकथा संकलन ‘शिप्रा से गंगा तक वर्ष 2018 में प्रकाशित।
शोध: विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में एमफिल में मेरे लघुकथा लेखन पर शोध प्रबंध प्रस्तुत । कुछ पीएचडी के शोध प्रबंध में विशेष रूप से शामिल।
पुरस्कार सम्मान: साहित्य कलश इंदौर के द्वारा लघुकथा संग्रह’ शब्द साक्षी हैं’ पर राज्यस्तरीय ईश्वर पार्वती स्मृति सम्मान वर्ष 2006 में प्राप्त। लघुकथा साहित्य के क्षेत्र में विशेष योगदान के लिए मां शरबती देवी स्मृति सम्मान 2012 मिन्नी पत्रिका एवं पंजाबी साहित्य अकादमी से बनीखेत में वर्ष 2012 में प्राप्त ।
सम्प्रति:भारतीय स्टेट बैंक से सेवानिवृत्त होकर इंदौर शहर में निवास, और लघुकथाओं के लिए सतत कार्यरत।
इंदौर 452010
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