Read Time2 Minute, 16 Second
ये कैसी मानवता जिसमें मुझे बाहर बैठाकर पढ़ाया गया,
ये कैसी मानवता जिसमें नौकरी जाने पर कालीन उठाया गया..
कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत को एक बताने वालों,
ये बताओ महाड़ का पानी पीने पर पत्थर क्यूं बरसाया गया।
पत्थर क्यूं बरसाया गया,क्या मैं सचमुच अपवित्र था,
जानवर पिए भले पानी,मैंने पिया तो डाला गोमूत्र था..
मैं मानव होकर भी जल तालाब का पी नहीं सकता,
सुअर-कुत्ते-गाय-भैंस के पीने पर भी जल पवित्र था।
कहते हो नहीं भेद है जातिधर्म का, मानवता का मूल यहाँ,
कई वर्षों से आज तक भी जातिवाद फैला है यहाँ..
दलित-दलित कहकर प्रताड़ित,
हमें किया जाता है,
मानव होकर मानवता के सुख से
वंचित किया यहाँ।
याद करो उन दलितों को जो देशहित में आगे आए,
मर गई भले झलकारी,पर झांसी के प्राण बचाए,
सत्य का ज्ञान हुआ ऋषि संभुक को तो मार डाला..
लेकिन गुरु के ख़ातिर कालीबाई ने भी प्राण गंवाए।
हे मेरे हिन्द देश के लोगों,अब तो जरा जाग जाओ,
जातिवाद से हुए खण्ड-खण्ड भारत को अब बचाओ..
हाथ जोड़ विनती करे ‘दिनेश’, तुम हिन्द के लोगों से,
खण्ड-खण्ड हुए भारत को ,पुनः अखण्ड बनाओ॥
#दिनेश कुमार प्रजापत
परिचय : दिनेश कुमार प्रजापत, दौसा जिले(राजस्थान)के सिकन्दरा में रहते हैं।१९९५ में आपका जन्म हुआ है और बीएससी की शिक्षा प्राप्त की है।अध्यापक का कार्य करते हुए समाज में मंच संचालन भी करते हैं।कविताएं रचना,हास्य लिखना और समाजसेवा करने में आपकी विशेष रुचि है। आप कई सामाजिक संस्थाओं से भी जुड़े हुए हैं।
Post Views:
576