गीतों का मल्हार लिए, फूलों का श्रंगार लिए। खिल गए फूल अनन्त, आ गया देखो प्यारा बसंत॥ फूलों से खेत हो रहे हरे-भरे, पक्षी गीत गा रहे भावना भरे। नर-नारी और झूमे साधू सन्त, आ गया देखो प्यारा बसंत॥ नदियाँ फूलों से श्रृंगार करे, धरा भी किरणों से मांग […]

घर खुली जगह छत, पूरा आसमान, सोने को हरी-भरी दूब ओढ़ने को रजाई चमकते जुगनूओं की। फटी रजाई में कहीं-कहीं झांकते स्वच्छ दोपहरी सूखे मेघ, साथी की न कोई चिन्ता पवन हिलाए-डुलाए-नचाए, और उसकी लय पर थिरकता एक गरीब अधम मानव का मैला-कुचैला नंगा शरीर, छप्पर की छत से झांकते […]

लात खाकर भी भूख मिटा देती है माँ, भूखे पेट रहकर भी दुआ देती  है माँ। गांव में छोड़कर शहर आ गया अब, हिचकियां रोज याद दिला देती है माँ। चोट पर मुंह से निकलता है ये शब्द, मुश्किलों को दूर यूं भगा देती है माँ। अमीरी जाजम बिछाती है […]

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पिलाकर दूध झट शिशु को,फटाफट हो गई रेडी, उठाया पर्स,मोबाइल,घड़ी,चाभी,चतुर लेडी। इधर ताके-उधर ताके,नहीं जब ध्यान कुछ आया, लगा आवाज आया को,वही फिर प्रश्न दुहराया। कहीं कुछ रह तो नहीं गया… प्रश्न में कुछ भी कहाँ नयाll बिदा बिटिया हुई जैसे,हुई बारात ज्यों ओझल, अटैची-बैग लेकर के हुए तैयार सब […]

ये कैसी मानवता जिसमें मुझे बाहर बैठाकर पढ़ाया गया, ये कैसी मानवता जिसमें नौकरी जाने पर कालीन उठाया गया.. कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत को एक बताने वालों, ये बताओ महाड़ का पानी पीने पर पत्थर क्यूं बरसाया गया। पत्थर क्यूं बरसाया गया,क्या मैं सचमुच अपवित्र था, जानवर पिए भले […]

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है वेदना गर मेरे मन में, क्यूं धीर बूंदें खो रही हैं। क्यूं जागती हैं मेरे संग में, जबकि वो सुख से सो रही है॥ सावन की ये ठंडी हवा क्यूं, मुझे ज्येष्ठ की लू लग रही है। है मन मेरा विरह अग्नि में तो क्यूं, न लपटें चैन उसका खो रही […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।