विदेशों की औकात

3
0 0
Read Time1 Minute, 24 Second
lalit sinh
हम सबको मिलकर अब,काम ये करना होगा,
स्वप्न जो थे वीरों के,उन्हें पूरा करना होगा।
हो गए जो धूमिल यहां रिश्तें अंधकारों से,
उन रिश्तों को फिर प्रकाशित करना होगा॥
लूट ले गए जो भारत की धन दौलत को,
उनको एक बार फिर धनी हो के दिखाना होगा।
आ रहे हैं सब कदमों में,उनको भी आना होगा,
है कितनी समझ उनकी,उनको बतलाना होगा॥
जो गोरे भारत को हरदम गरीब बताया करते थे,
आकर यहां दो महीने तक पसीना बहाया करते हैं।
अगर ना होता आइपीएल तो कैसे वो घर चलाया करते,
समझ गए होंगे वो,अपने देशों की औकात को॥
बदली है सोच सबकी,चीन को भी बदलनी होगी,
बेचना है उत्पाद यहां पर,तो विनती करनी होगी।
नहीं सुनेंगे किसी की,सबको हमारी सुननी होगी,
अमेरिका की तरह ही चीन को सन्धि करनी होगी॥

                                                                                 #ललित सिंह

परिचय :ललित सिंह रायबरेली (उत्तरप्रदेश) में रहते हैं l आप वर्तमान में बीएससी में पढ़ने के साथ ही लेखन भी कर रहे हैंl  आपको श्रृंगार विधा में लिखना अधिक पसंद है l स्थानीय पत्रिकाओं में आपकी कुछ रचना छपी है l 

 

matruadmin

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

3 thoughts on “विदेशों की औकात

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

भारत को पुनः अखण्ड बनाओ

Thu Aug 10 , 2017
ये कैसी मानवता जिसमें मुझे बाहर बैठाकर पढ़ाया गया, ये कैसी मानवता जिसमें नौकरी जाने पर कालीन उठाया गया.. कश्मीर से कन्याकुमारी तक भारत को एक बताने वालों, ये बताओ महाड़ का पानी पीने पर पत्थर क्यूं बरसाया गया। पत्थर क्यूं बरसाया गया,क्या मैं सचमुच अपवित्र था, जानवर पिए भले […]

पसंदीदा साहित्य

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।