Read Time1 Minute, 21 Second
हे भारतीय राजनीति के
कलंकों,
अब तो देश को बख्श दो,
आज़ादी से आज तक देश
को छला,
अब तो कुछ उत्थान हो जाने
दो।
अपनीकुर्सी न जाए तुम चलते
हो गंदी चालें,
कभी जाति,
कभी धर्म,
कभी भाषा की
खड़ी करते हो दीवारें,
आज भी देश ढो रहा है
आरक्षण का कोढ़,
कभी दलित,
कहीं अल्पसंख्यक
का मचाते हो शोर,
अरे हर जाति,
हर धर्म मे हैं
गरीब,भूखे-प्यासे,
सिर्फ गरीबी को ही
क्यों सुविधाओं का
आधार तुम नहीं बनाते।
डरते हो ,
फिर कहां बचेगी
तुम्हारी दोगली राजनीति,
सोचते हो फिर किसको
छलोगे मीत ?????
#गंगा प्रसाद पांडे ‘भावुक’
परिचय : गंगा प्रसाद पांडे ‘भावुक’ का जन्म स्थान उत्तरप्रदेश में ग्राम समनाभार कटरा (जिला सुल्तानपुर)है। आप स्थाई रुप से उत्तरप्रदेश के शिवनगर भंगवा (जिला प्रतापगढ़) के हैं। शिक्षा बी.एस-सी.,एमए तथा बी.एड. है। लेखन विधा अतुकांत,हाइकु अधिक पसंद है। सामाजिक विसंगतियों पर ही लेखन करते हैं।
Post Views:
529
Tue Aug 1 , 2017
नजरों से नजर जब मिली थी कभी, नाम प्राण पृष्ठ पर तभी लिख गई। सोचा कई दफा जाकर कह दूँ आज अभी, कर गया दिल लड़कपन कुछ कहा ही नहीं। रोज लिखकर मैंने खत को दफन कर दिया, दिल में उठी उफन कहती है अब रूकेगी नहीं। अधरों पर मुस्कान […]