मुझें साहित्यकार समझने की आप भूल न करें उबड़-खाबड़,कांटेदार रचनाओं को फूल न कहें। मेरी रचनाएँ बनावट और सजावट से हैं महरूम कृपया अलोचना करें मगर ऊल-जुलूल न कहें । हाँ चुभते ज़रूर हैं चंद लोगों की नज़रों में यारों हक़ीक़त में हैं नागफनी ,इन्हें आप बबूल न कहें। कुछ […]

हर न्यूज़ एंकर है कहता,वो सच बता रहा है इसी तरह अवाम को बेवकूफ बना रहा है । रवीश,सुधीर,ओम,अर्णव,प्रसून या हो रजत हर कोई अपने लिए टी आर पी बढ़ा रहा है । ब्रेकिंग न्यूज़,पूछता है भारत ,आज की बात दर्शकों के मुताबिक ही परोसा जा रहा है । विज्ञापन […]

एक दफा, हम राह पर चल रहे थे तो एक नजारा मिला, नजारे को गौर से देखा तो एक घूमता हुआ परवाना मिला । हम तो यूं ही उसकी तरफ चले जा रहे थे, लेकिन जब वहां पहुंचे तो एक ना भुलाएँ जाने वाला अफसाना मिला ।। जब उस अफ़साने […]

हमने तो सुखे हुए समंदर देखे हैं क्या क्या खौफनाक मंज़र देखे हैं । ठूठें दरख्तों पर उजड़े हुए घोसलें इन्क़लाब करते हुए बन्दर देखे हैं । मखमली बिस्तर पे बेचैन अमीर और फक्कड़ मस्त कलंदर देखे हैं । फ़र्श से अर्श,ज़र्रे से आफताब बन मिट्टी में मिलते हुए धुरंधर […]

मेरी उम्मीदों पर खरा उतरेगा न ? मुझसे बिछड़ कर तू बिखरेगा न ? जुदा हो कर मरना जरूरी नहीं है मगर जिंदा रहना तुझे अखरेगा न ? न याद करना कभी,न आसूँ बहाना हाँ,पर चाँद रात को आहें भरेगा न ? कोई इल्जाम तुझ पर न आने दूँगा तू […]

जीवी हैं बुद्धि नहीं, कहलाते बुद्धिजीवी हैं। सेवा वो किये नहीं, कहलाते समाजसेवी हैं।। कार्य करते नहीं वो,कार्यकर्ता कहलाते हैं। निधि अपना भरते,प्रतिनिधि  कहलाते हैं।। गणमान्य हैं सबके,मान्य वो गण रखते हैं। अपने साथ सूई नहीं, कैंची जरुर रखते हैं।। अनपढ़ नेता बनते,पढ़कर नौकरी करते हैं। आईएएस उनके ही,ले फाइल […]

संस्थापक एवं सम्पादक

डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’

आपका जन्म 29 अप्रैल 1989 को सेंधवा, मध्यप्रदेश में पिता श्री सुरेश जैन व माता श्रीमती शोभा जैन के घर हुआ। आपका पैतृक घर धार जिले की कुक्षी तहसील में है। आप कम्प्यूटर साइंस विषय से बैचलर ऑफ़ इंजीनियरिंग (बीई-कम्प्यूटर साइंस) में स्नातक होने के साथ आपने एमबीए किया तथा एम.जे. एम सी की पढ़ाई भी की। उसके बाद ‘भारतीय पत्रकारिता और वैश्विक चुनौतियाँ’ विषय पर अपना शोध कार्य करके पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। आपने अब तक 8 से अधिक पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें से 2 पुस्तकें पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध हैं। मातृभाषा उन्नयन संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष व मातृभाषा डॉट कॉम, साहित्यग्राम पत्रिका के संपादक डॉ. अर्पण जैन ‘अविचल’ मध्य प्रदेश ही नहीं अपितु देशभर में हिन्दी भाषा के प्रचार, प्रसार और विस्तार के लिए निरंतर कार्यरत हैं। डॉ. अर्पण जैन ने 21 लाख से अधिक लोगों के हस्ताक्षर हिन्दी में परिवर्तित करवाए, जिसके कारण उन्हें वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्डस, लन्दन द्वारा विश्व कीर्तिमान प्रदान किया गया। इसके अलावा आप सॉफ़्टवेयर कम्पनी सेन्स टेक्नोलॉजीस के सीईओ हैं और ख़बर हलचल न्यूज़ के संस्थापक व प्रधान संपादक हैं। हॉल ही में साहित्य अकादमी, मध्य प्रदेश शासन संस्कृति परिषद्, संस्कृति विभाग द्वारा डॉ. अर्पण जैन 'अविचल' को वर्ष 2020 के लिए फ़ेसबुक/ब्लॉग/नेट (पेज) हेतु अखिल भारतीय नारद मुनि पुरस्कार से अलंकृत किया गया है।