परिचय: रामेश्वर मिश्र वर्तमान में भदोही(उत्तर प्रदेश) में बसे हुए हैं। फिलहाल अभियांत्रिकी के छात्र हैं। कविताएं, कहानी इत्यादि पढ़ना-लिखना आपकी पसंद है।
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नजरों से नजर जब मिली थी कभी,
नाम प्राण पृष्ठ पर तभी लिख गई।
सोचा कई दफा जाकर कह दूँ आज अभी,
कर गया दिल लड़कपन कुछ कहा ही नहीं।
रोज लिखकर मैंने खत को दफन कर दिया,
दिल में उठी उफन कहती है अब रूकेगी नहीं।
अधरों पर मुस्कान छेड़ना बंद भी करो,
बसंत लुट गया मेरा,इस तरह डकैती चलेगी नहीं।
बनी है बड़ी जानकार वो किताबों को पढ़कर,
खुले पन्ने फड़फड़ाते यहाँ,क्यों पढ़ती नहीं।
#रामेश्वर मिश्र
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